शख्स ने 14 मर्तबा प्लाज्मा डोनेट कर बचाईं 40 से ज्यादा जिंदगियां, भारत में ऐसा पहला मामला
पुणे शहर में एक शख्स ऐसा है जिसने एक-दो बार नहीं, 14 मर्तबा अपने शरीर का प्लाज़्मा दान किया है
पुणे शहर में एक शख्स ऐसा है जिसने एक-दो बार नहीं, 14 मर्तबा अपने शरीर का प्लाज़्मा दान किया है और उसके इस दान से चालीस लोगों का इलाज किया गया है। इस आदमी का नाम है अजय मनोत। अजय पिछले साल जुलाई 2020 में कोरोना की चपेट में आ गए थे। कुछ दिन बाद वे चंगे हो गए। वे स्वास्थ्य लाभ कर ही रहे थे कि उन्होंने प्लाज़्मा थेरपी के बारे में सुना। इलाज के बारे में सुनने के साथ उन्होंने ये खबरें भी पढ़ीं-देखीं कि कोविड से बच निकलने के बाद लोग इस कदर खौफजदा हो जाते हैं कि वे प्लाज़्मा देने से कतराने लगते हैं कि वे कमज़ोर हो जाएंगे।
बहरहाल, अजय को यह जानकर बड़ा अच्छा लगा कि वे अपने शरीर से कुछ देकर दूसरों की जान बचा सकते हैं। उन्होंने तुरंत फैसला कर डाला दान करने का। फिर क्या था जैसे ही कहीं से डोनर की मांग आई वे जा पहुंचे। जिस महिला के लिए उन्होंने प्लाज़्मा दान किया था, उसकी हालत बहुत गंभीर थी। कुछ दिनों बाद जब उस महिला के पुत्र ने उनको सूचित किया कि उसकी मां की जान बच गई है तो अजय की खुशी की सीमा न थी। इसके बाद तो वे बार-बार प्लाज़्मा का दान करने लगे। उनको दूसरों की जान बचाने का जुनून हो गया। वे बताते हैं कि उन्होंने कुल 14 बार प्लाज़्मा डोनेट किया। अजय के मुताबिक प्लाज्मा दान करने से कोई कमजोरी नहीं आती क्योंकि प्लाज़्मा खून नहीं होता।
उन्होंने लोगों की यह सोच भी गलत बताई कि प्लाज़्मा के साथ शरीर में बने एंटीबॉडीज़ निकल जाते हैं जिससे आदमी की रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट हो जाती है। उन्होंने डॉक्टरों के हवाले से बताया कि अगर प्लाज़्मा के साथ शरीर से एंटीबॉडीज़ निकल जाते तो वे 14 बार कैसे दान कर पाते। डॉक्टर तो दूसरी बार ही मना कर देते कि अब आप के दान से कोई फायदा नहीं क्योंकि आपके खून में एंटीबॉडीज़ बचे ही नहीं।
अजय 15वीं मर्तबा भी प्लाज़मा डोनेट करने को तैयार बैठे हैं लेकिन इस बीच सरकार ने कोविड के इलाज में प्लाज़्मा थेरपी पर रोक लगा दी है। कुछ चिकित्साविदों ने इस चिकित्सा का विरोध किया था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि प्लाज़्मा से इलाज करने के कारण कोरोना वायरस की नई और शक्तिशाली स्ट्रेन बन रही हैं। दरअसल, कोविड के इलाज में दिक्कत यही है कि इस रोग के खिलाफ खासतौर पर कोई दवा अभी तक नहीं बनी। रेमडिसिविर आदि जो भी दवाएं हैं वे दूसरे मर्जों के लिए ईजाद की गई थीं।