जेल से बाहर आया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का हत्यारा पेरारिवलन, गांव में मना जश्न
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए जी पेरारिवलन को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया. कोर्ट के फैसले पर एक तरफ जमकर राजनीति हो रही है, वहीं आदेश के बाद तमिलनाडु के जोलारपेट्टई (Jolarpettai) शहर का माहौल खुशनुमा हो गया था. यहां पेरारिवलन का परिवार रहता है, जो उसकी रिहाई की खबर सुनकर खुशियां मना रहा था. पेरारिवलन जो खुद जमानत पर बाहर है उसने भी रिहाई मिलने पर राहत की सांस ली.
कांग्रेस और बीजेपी ने भले इसका विरोध किया लेकिन तमिलनाडु में सत्ताधारी DMK और विपक्षी दल AIADMK दोनों से इसका विरोध किया. कांग्रेस ने तो इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तक का ऐलान कर दिया. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एस अलागिरी ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना नहीं करना चाहते, लेकिन यह जरूर कहेंगे कि वे (सभी सात दोषी) हत्यारे थे, कोई बेगुनाह नहीं.
पेरारिवलन की रिहाई के आदेश के बाद उनके शहर में जश्न जैसा माहौल था. वहां लड्डू बांटे गए. इसके साथ-साथ पेरारिवलन ने Parai (एक तरह का ड्रम) भी बजाया.
पेरारिवलन ने रिहाई के आदेश के बाद तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से मुलाकात भी की थी. इस दौरान पेरारिवलन की मां भी उनके साथ थी. स्टालिन ने बाद में कहा था कि सातों दोषियों को रिहा कराने की मांग उनके मेनिफेस्टो में थी. हालांकि, AIADMK का कहना है कि पेरारिवलन कि रिहाई पूर्व सीएम जयललिता के प्रयासों की वजह से हो पाई है.
बता दें कि पेरारिवलन करीब 30 साल जेल में रहे. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.
पीठ ने कहा, 'अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना सही होगा.' संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है.
इससे पहले 9 मार्च को पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.
तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे, महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी,
न्यायालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी. फिर सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था, न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था.