लोगों के प्रोत्साहन ने दिया रोजगार का आइडिया

Update: 2022-10-03 07:53 GMT

सौम्या ज्योत्सना

मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार

आजकल शहर हो या गांव, जन्मदिन के अवसर पर परिवार केक काटना नहीं भूलता है. यही कारण है कि लोगों के बीच केक की डिमांड काफी बढ़ गई है, जिसे देखते हुए अब महिलाएं भी केक और बेकरी आइटम्स बनाने की ओर काफी आकर्षित हो रही हैं क्योंकि इसे घर से भी किया जा सकता है. कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने घर में रहकर न केवल इसे रोज़गार का साधन बना लिया है बल्कि अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी रोज़गार प्रदान कर रही हैं. इसी कड़ी में झारखंड की रहने वाली तुलिका मृत्युंजय कुमार भी शामिल हैं. जिन्होंने पहले केवल शौकिया तौर पर केक बनाना सीखा था लेकिन आज पांच सालों के संघर्ष के बाद यही केक उनकी पहचान का माध्यम बन गया है.

तुलिका मूल रूप से मुजफ्फरपुर बिहार की रहने वाली हैं, लेकिन शादी के बाद उन्हें रांची स्थित बरियातु शिफ्ट होना पड़ा. कॉमर्स में मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुकी तुलिका ने शिक्षक के रूप में अपनी पहचान गढ़ने का निर्णय लिया. लेकिन बच्चों के जन्म के बाद उन्हें टीचिंग छोड़नी पड़ी क्योंकि एकल परिवार में बच्चों की देखरेख करना मुश्किल था. हालांकि इसके बाद भी उन्होंने कुछ ट्युशन्स पढ़ाए लेकिन अब उनकी इच्छा कुछ अलग करने की होने लगी थी. इस कड़ी में उन्हें ध्यान आया कि उनकी मां ने भी अपनी रूचि के माध्यम से ही अपनी पहचान कायम की थी, जिससे प्रेरणा पाकर उन्होंने भी कुछ अलग करने का फैसला किया.

तुलिका बताती हैं कि उन्हें केक बनाना सीखे हुए लगभग दस साल हो गए थे लेकिन उन्होंने कभी इसे अपने रोजगार के तौर पर अपनाने का नहीं सोचा था. हालांकि वह घर में विशेष अवसरों पर केक बनाने का काम किया करती थीं, जिसे परिवार और मेहमानों द्वारा काफी पसंद किया जाता था और प्रोत्साहन भी मिला करता था. उनके बनाए केक की लोग बहुत तारीफ किया करते थे. कुछ ही दिनों बाद आसपास के लोग उन्हें अपने घरों में होने वाले आयोजनों के लिए केक बनाने का निवेदन करने लगे. इसी दौरान तुलिका को एहसास हुआ कि केक बनाने के उनके शौक को रोजगार का रूप दिया जा सकता है ताकि आमदनी भी हो जाए और अपना शौक भी पूरा हो जाए .

उसके बाद उन्होंने केक की वैरायटी को जानने और नए तरीकों के बारे में पता करने के लिए कुछ वर्कशॉप ज्वाइन किए ताकि समय के अनुसार बाजार में हुए बदलावों को जाना जा सके. इसके बाद साल 2018 में उन्होंने 'बेकरी डेक्स्टोन (Bakery Dack stone) नाम से अपना बिजनेस शुरू किया, जिसके द्वारा अब उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है. उन्होंने न केवल अपने कारोबार को बढ़ाया बल्कि अन्य महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग दी है. अब तक उनसे करीब 60 महिलाओं ने केक बनाने की ट्रेनिंग हासिल कर अपना कारोबार भी शुरू कर चुकी हैं. तुलिका की पहचान अब केक कारोबारी के साथ साथ ट्रेनर के रूप में भी हो चुकी है. उन्होंने रांची से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर गढ़वा जिला स्थित रमकंडा गांव में 20 से 25 महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी है, जिसे स्थानीय संस्था रक्सी जलछाजन समिति के सहयोग से किया गया था. जहां उन्होंने पहले मैदा और आटे से बने केक की ट्रेनिंग दी, चूंकि उस गांव में रागी की खेती ज्यादा होती है इसलिए उन्होंने वहां की महिलाओं को रागी से कूकीज बनाने की भी ट्रेनिंग दी है.

तुलिका बताती हैं कि उन्होंने अपने ब्रांड को लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी बखूबी इस्तेमाल किया है. बेकरी डेक्स्टोन नाम से फेसबुक पेज है, वहीं वह व्हाट्सएप्प के माध्यम से भी लोगों से ऑर्डर लेती हैं. इसके अतिरिक्त वह समय समय पर इंस्टाग्राम पर भी केक बनाकर उसकी फोटो अपलोड करती रहती हैं. जिसे काफी अच्छा प्रतिक्रिया मिलती रहती है. तुलिका बताती हैं कि उन्होंने गुगल सर्च इंजन पर भी अपना प्रोफाइल बनाया हुआ है क्योंकि उनका मानना है कि अपनी प्रोडक्ट की ब्रांडिंग स्वयं करनी पड़ती है. वह अपनी इस कामयाबी के पीछे पति मृत्युंजय कुमार की भूमिका को अहम मानती हैं. उनका कहना है कि "शादी के बाद मुझे अपने लिए कुछ करना थोड़ा मुश्किल था, मगर मेरे पति ने न केवल मेरा सहयोग किया बल्कि लगातार मेरा हौसला भी बढ़ाया. उन्होंने मुझे टाइम मैनेजमेंट करना और फ्री होकर काम करने के तरीके बताए. साथ ही जब कभी डिलीवरी बॉय नहीं होता है, तो वह स्वयं जाकर डिलीवरी करके आते हैं."

हालांकि आजकल बाजार में केक की वैरायटी एवं केक बनाने वाले लोगों की कमी नहीं है लेकिन तुलिका का मानना है कि बाजार में अपनी पहचान बनाए रखने के लिए काफी प्रयोग करने पड़ते हैं और बाकी से कुछ अलग और विशेष करना पड़ता है. अपने केक की विशेषता के बारे में तुलिका बताती हैं कि उनका बनाया हुआ केक 8 से 10 दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता हैं क्योंकि वे बाजार में मिलने वाले प्री-मिक्स का इस्तेमाल नहीं करती हैं. साथ ही वह केक में अंडों का इस्तेमाल भी नहीं करती हैं. वह आर्डर मिलने के बाद ही केक बनाने की प्रक्रिया शुरू करती हैं. पहले वह केवल एक पाउंड का केक ही बनाया करती थीं लेकिन ग्राहकों की मांग और एकल परिवारों की बढ़ती संख्या के कारण अब उन्होंने आधे पाउंड का केक बनाना भी शुरू कर दिया है, जिसकी कीमत 170-200 रुपयों से शुरू होती है.

तुलिका बताती हैं कि उन्होंने लोगों की डिमांड को देखकर केक बनाने में अनेक प्रयोग किए हैं. वह फोटो केक, पिनाटा केक (जिसे छोटे-से हथौड़े से तोड़कर खाया जाता है), डिजाइनर केक, थीम केक (विशेष अवसरों के लिए) बनाती हैं. साथ ही वह ग्राहकों की मांग के अनुसार भी केक बनाती हैं, जिसे कस्टमाइजेशन कहा जाता है. अब उन्होंने मफिंस, कूकीज आदि भी बनाना शुरु किया है. तुलिका केक बनाकर हर महीने 30,000-40,000 रुपये कमा लेती हैं. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान भी स्पेशल परमिशन लेकर केक की डिलीवरी की थी. आज उनका बिजनेस जोमैटो और स्विगी पर भी उपलब्ध है, जहां से लोग ऑनलाइन केक ऑर्डर करते हैं. (चरखा फीचर)

Tags:    

Similar News

-->