पाकिस्तानी पत्रकार और एक्सपर्ट्स को लगी मिर्ची, बोले- भारत ने बदला लिया

Update: 2025-01-28 06:15 GMT
नई दिल्ली: भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिअंतो नई दिल्ली परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पहले योजना थी कि वह 26 जनवरी की शाम को भारत से पाकिस्तान की यात्रा के लिए रवाना हो जाएंगे. हालांकि, भारत को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति का नई दिल्ली से सीधा पाकिस्तान का दौरा रास नहीं आया. सूत्रों की मानें तो भारत की ओर से कूटनीतिक दबाव बनाया गया जिसके बाद इंडोनेशिया की सरकार ने अपना प्लान बदल लिया.
इंडोनेशिया सरकार ने तय किया कि राष्ट्रपति भारत के बाद पाकिस्तान न जाकर मलेशिया की यात्रा पर जाएंगे. दूसरी ओर, पाकिस्तान को इस बात का अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ भी हो सकता है. शहबाज सरकार ने तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के स्वागत की तैयारी भी शुरू कर दी थी. यहां तक कि सरकार के एक मंत्री को भी तैयारियों का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन आखिर में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के दौरे पर ना जाना चुना.
जाहिर है, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को भारत की यह कूटनीतिक सफलता हजम तो नहीं हुई होगी. हालांकि, शहबाज सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया लेकिन पाकिस्तान के विदेशी मामलों के जानकार और आम लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएं जरूर दे रहे हैं.
पाकिस्तान की यू्ट्यूबर और विदेशी मामलों की जानकार आरजू काजमी ने इस मामले में कहा कि, गणतंत्र दिवस के लिए भारत को कोई और मेहमान नहीं मिला. उन्होंने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ही 26 जनवरी पर बुलाया. जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 26 जनवरी को इस्लामाबाद आ रहे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी थी. उन्होंने सरकार के एक मंत्री एहसन इकबाल की ड्यूटी भी लगा दी थी.
आरजू काजमी ने आगे कहा कि, नरेंद्र मोदी सरकार को यह तो पता ही होगा कि पाकिस्तान पहले ही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को बुला चुका है. इसके बावजूद भी नरेंद्र मोदी सरकार ने जानबूझकर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को भारत बुलाया.
आरजू काजमी ने कहा कि, नरेंद्र मोदी सरकार ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ट्रेड का लालच दिया होगा, इसके साथ ही कई और भी अलग-अलग तरह का लालच देकर, बहला-फुसलाकर उन्हें भारत बुला लिया. आरजू काजमी ने आगे कहा कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने भी सोचा होगा कि पाकिस्तान से ज्यादा तो भारत जाने का ही फायदा है. वहां से कुछ न कुछ तो मिल ही जाएगा. आरजू ने आगे कहा कि, यूं तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के बाद भी पाकिस्तान जा सकते थे लेकिन भारत ने जानबूझकर ऐसा नहीं करने दिया.
पाकिस्तान की एक थिंक टैंक संस्था के सदस्य और विदेशी मामलों के जानकार कमर चीमा कहते हैं कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति काफी ज्यादा स्मार्ट प्लेयर हैं. उन्होंने कहा कि, वहीं इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के जरिए भारत ने भी अपना बदला ले लिया. पाकिस्तान जितना बांग्लादेश के करीब होगा उसी हिसाब से भारत भी अलग-अलग तरह से अपनी ओर से बदला लेगा. इसलिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के इस्लामाबाद न आने में पाकिस्तान का कोई कुसूर नहीं है.
कमर चीमा ने कहा कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के बहाने भारत ने कहीं न कहीं पाकिस्तान से बांग्लादेश का बदला लिया है. बांग्लादेश में पिछले दिनों में जो हुआ उससे भारत बिल्कुल भी खुश नहीं है. बांग्लादेश में पाकिस्तान का दखल बढ़ने से भारत परेशान हो गया है और इसके बदले वह दिखाना चाहता है कि वह क्या कर सकता है. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा को रोककर भारत ने यह दिखा भी दिया कि वह क्या कर सकता है.
पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध यूट्यूबर सना अमजद ने जब वहां के आम लोगों से इस बारे में सवाल पूछे तो एक युवक साहिम ने कहा कि, अगर वह भारत के प्रभाव में आकर पाकिस्तान नहीं आ रहे तो वह अपना कारोबार और अपना फायदा देख रहे हैं. पाकिस्तान तो दुनिया को कुछ दे नहीं पा रहा है, हम दुनिया के सामने भीख मांग रहे हैं. हमारी इतनी ताकत ही नहीं है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के सामने हमें चुन पाते.
साहिम ने आगे कहा कि, इंडोनेशिया मुस्लिम देश है सिर्फ इस वजह से वहां के राष्ट्रपति का भारत की जगह पाकिस्तान आने का कोई मतलब नहीं बनता था. आज के समय में देश धर्म नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर रिश्तों को बनाते हैं.
वहीं एक अन्य युवक ने कहा कि, अगर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति हमारे यहां नहीं आए तो समझ लेना चाहिए कि हम ही गलत हैं. युवक ने आगे कहा कि, अगर लोग भारत को चुन रहे हैं तो वह इतना काबिल है. इंडोनेशिया को भी यह देखना है कि कौन उसके लिए ज्यादा आर्थिक लाभ देने वाला साबित होगा. हर कोई अपना फायदा देखता है.
पाकिस्तानी युवक ने आगे कहा कि, भारत की दुनिया में डिमांड है लेकिन पाकिस्तान की नहीं है. पाकिस्तान की कोई वैल्यू ही नहीं है. पाकिस्तान को भारत की तरह पूंजीवादी भी बनना चाहिए. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सिर्फ इसलिए भारत गए क्योंकि पाकिस्तान उन्हें जाते समय वैसे भी कुछ नहीं दे पाता. जबकि भारत से उन्हें काफी कुछ मिलेगा.
एक दूसरे पाकिस्तानी युवक ने कहा कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के प्लान कैंसिल करने के मामले में शहबाज शरीफ सरकार की भूमिका है कि वह देखे कि वह लोगों को किस तरफ लेकर जा रही है. अगर वह वहां गए हैं तो जाहिर है कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और ज्यादा क्रेडिबल है. इसिलए उन्होंने भारत को चुना है.
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