प्रशांत महासागर: सक्रिय हुए अल-नीनो पर वैज्ञानिकों ने जारी की चेतावनी

नीना ठंड का चरण है।

Update: 2023-06-11 14:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) का एक हिस्सा है, जो मौसम और समुद्र से संबंधित एक प्राकृतिक जलवायु घटना को बताता है। ईएनएसओ के दो चरण होते हैं- अल नीनो और ला नीना। अल नीनो गर्म चरण है वहीं, ला नीना ठंड का चरण है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अल नीनो के शुरू होने की पुष्टि की है। विशेषज्ञों की मानें तो यह विश्व मौसम को प्रभावित करने के साथ भारत के मानसून को कमजोर कर सकता है। इससे जलवायु परिवर्तन की वजह से पहले ही गर्म धरती में तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) का एक हिस्सा है, जो मौसम और समुद्र से संबंधित एक प्राकृतिक जलवायु घटना को बताता है। ईएनएसओ के दो चरण होते हैं- अल नीनो और ला नीना। अल नीनो का अर्थ स्पेनिश भाषा में 'छोटा लड़का' है और यह एक गर्म चरण है। वहीं, ला नीना का मतलब 'छोटी लड़की' होता है जो ठंड का चरण है।

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना अल-नीनो कहलाती है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है।

अमेरिका की विज्ञान एजेंसी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने गुरुवार (8 जून) को घोषणा की कि अल नीनो सक्रिय हो गया है। भले ही अभी यह कमजोर है लेकिन सर्दियों तक एक मजबूत घटना बन सकती है। एजेंसी ने पूर्वानुमान में कहा, 'अल नीनो सर्दियों में जारी रहेगा और इसके चरम पर एक मजबूत घटना बनने की आशंका 56 प्रतिशत है। कम से कम एक मध्यम घटना की आशंका लगभग 84 प्रतिशत है।'

अल नीनो के कारण प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है यानी गर्म हो जाता है। इस परिवर्तन के कारण मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। अल नीनो का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है, जिसके कारण बारिश, ठंड, गर्मी सब में अंतर दिखाई देता है।

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