पी चिदंबरम ने लोकसभा और राज्यसभा के सभापतियों को ठहराया जिम्मेदार, हंगामे पर कही ये बात

Update: 2021-08-13 16:13 GMT

फाइल फोटो 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संसद सत्र का अंत अच्छे ढंग से न होने पर दुख जताया है। पी चिदंबरम ने इसके लिए दोनों सदनों के सभापतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि दोनों ही सदनों में चेयर उस तरह से न्यूट्रल नहीं है, जिस तरह से होनी चाहिए। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा आखिरी दिन राज्यसभा में हो हुआ, उसके पीछे वजह यह थी कि सरकार अपनी बात से पीछे हटते हुए चुपके से विधेयक पास कराना चाहती थी। इसके अलावा चिदंबरम ने सत्र के दौरान हो रही बहसों में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नामौजूदगी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 'दो आदमी'वाली भाजपा सरकार का संसद के प्रति बहुत कम सम्मान है। अगर इन दोनों की चले तो यह संसद में लॉकडाउन करा दें।

समाचार एजेंसी भाषा के साथ साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि विपक्ष 2024 के आम चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम हो जाएगा। उन्होंने इसके लिए धैर्य, बातचीत और बैठक को महत्वपूर्ण बताया। गौरतलब है कि बुधवार को संसद का मॉनसून सत्र तय समय से दो दिन पूर्व ही स्थगित कर दी गई। इससे पूर्व जब राज्यसभा अनिश्चितकाल के स्थगित की गई तो विपक्षी सांसदों का मार्शल्स के साथ टकराव हो गया। विपक्षी सांसद विरोध करते हुए सभापति के आसन और ट्रेजरी बेंचों की तरफ बढ़ रहे थे। तभी मार्शलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी। सत्ताधारी भाजपा ने संसद में टकराव के लिए कांग्रेस और विपक्षी सदस्यों को दोषी ठहराया है। वहीं, विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार पेगासस जासूसी मामले समेत विभिन्न मुद्दों पर बहस से बचना चाहती है। बुधवार को राज्यसभा में हुए शोर-शराबे के लिए सत्ताधारी दल के नेताओं ने विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया है। वहीं कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं का कहना है कि विपक्षी सांसदों जिनमें महिला सांसद भी शामिल हैं, उनके साथ संसद में गलत व्यवहार हुआ है।

सरकार के आठ मंत्रियों ने बुधवार को विपक्ष को राज्यसभा की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने का दोषी ठहराया। इस पर पी चिदंबरम ने कहा कि इस सबके पीछे सरकार का ही हाथ है। राज्यसभा में ओबीसी रिजर्वेशन के लिए संविधान संशोधन विधेयक पास होने के बाद संसद अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। जबकि विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया था कि वह जनरल इंश्योरेंस लॉ में बदलाव का विरोध करेगी, क्योंकि इसके पास होने से सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता खुल जाएगा। इसलिए इसे पास करने से पहले संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि जब इस बात को लेकर विपक्ष और सरकार में सहमति बन चुकी थी कि इस सत्र में बिल पास नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद संविधान संशोधन बिल पास होने के बाद सरकार जनरल इंश्योरेंस सुधार बिल और दो अन्य बिलों को पास कराने के फेर में पड़ गई। उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार चुपके से बिल पास कराने की अभ्यस्त होती जा रही है।

कांग्रेस के रणनीतिक मोर्चे के अहम सदस्य पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार से कदम से विपक्ष व्यथित था, इसलिए इसका पुरजोर ढंग से विरोध हुआ। चिदंबरम ने कहा कि उन्हें यह बात कहते हुए काफी दुख हो रहा है, लेकिन चेयर ने अपनी भूमिका उतने निष्पक्ष ढंग से नहीं निभाई, जितनी की उसे निभानी चाहिए थी। जो कुछ भी हुआ उसके पीछे सरकार द्वारा चुपके से बिल पास कराने की मंशा थी। चिदंबरम से कहा गया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू ने विपक्षी दलों के व्यवहार पर निराशा जताई है। इस पर उन्होंने कहा कि चेयर को अपनी भूमिका निष्पक्ष ढंग से निभानी चाहिए। उन्हें किसी एक का पक्ष नहीं लेना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ है।

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