आक्सीजन कंसेंट्रटर की कीमतें 3 दिन के अंदर होंगी कम, सख्त हुई सरकार
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की बढ़ती मांग के चलते इसकी कीमतों में भी इजाफा हुआ है।
नई दिल्ली, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की बढ़ती मांग के चलते इसकी कीमतों में भी इजाफा हुआ है। इसे देखते हुए सरकार ने अब सख्ती की है। ट्रेड मार्जिन की सीमा तय करते हुए कीमतों को तीन दिन के अंदर कम करने के आदेश दिए गए हैं। सरकार की तरफ से इसकी कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए डिस्ट्रिब्यूटर तक के लिए ट्रेड मार्जिन अधिकतम 70 फीसद तक रखने का आदेश दिया है। इसके अनुसार, तीन दिन के अंदर कीमतों में बदलाव के लिए कहा गया है। कारखाने से डिस्ट्रिब्यूटर तक पहुंचने में कीमत का जो अंतर होता है उसे ट्रेड मार्जिन कहा जाता है। कारखाने से डिस्ट्रिब्यूटर तक पहुंचने में जो चेन होती है उसकी वजह से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की कीमत ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते बढ़ी जाती है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल प्राइस फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) के पैरा 19 में मिले विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के डिस्ट्रिब्यूटर लेवल तक के प्राइस पर ट्रेड मार्जिन 70 फीसद तक रखने का निर्णय लिया है
इसके अलावा राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) को आदेश के अनुपालन की निगरानी करने का भी निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी निर्माता, वितरक, खुदरा विक्रेता किसी भी उपभोक्ता को संशोधित एमआरपी से अधिक कीमत पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर नहीं बेचेगा, ताकि कालाबाजारी की घटनाओं को रोका जा सके।इससे पहले, फरवरी 2019 में एनपीपीए ने कैंसर रोधी दवाओं पर व्यापार मार्जिन को सीमित कर दिया था। अधिसूचित व्यापार मार्जिन के आधार पर, एनपीपीए ने निर्माताओं/आयातकों को तीन दिनों के भीतर संशोधित एमआरपी की रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। एनपीपीए द्वारा एक सप्ताह के भीतर संशोधित एमआरपी को सार्वजनिक डोमेन में सूचित किया जाएगा।
देश में COVID 2.0 महामारी के मामलों में तेजी के साथ, मेडिकल ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई है। सरकार महामारी के दौरान देश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।
ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर एक गैर-अनुसूचित दवा है और वर्तमान में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के स्वैच्छिक लाइसेंसिंग ढांचे के तहत है। इसकी कीमत की निगरानी डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत की जा रही है।