मुसलमानों को लेकर RSS प्रमुख के बयान पर ओवैसी का पलटवार- 'भागवत नहीं बताएंगे, हम कितना खुश हैं'

मुस्लिमों पर दिए गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

Update: 2020-10-10 14:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नई दिल्ली:  मुस्लिमों पर दिए गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। दरअसल उन्होंने कहा है कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा भारत के मुसलमान संतुष्ट हैं। इस बीच, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी भागवत पर हमला बोल दिया। उन्होंने कहा, 'हमारी खुशी के मानक क्या हैं? क्या अब भागवत नाम के शख्स बताएंगे कि हमें बहुसंख्यकों का कितना आभारी होना चाहिए। हमारी खुशी इसी में है कि संविधान के तहत हमारा आत्मसम्मान बना रहे। हमें न बताइए कि हम कितना खुश हैं जबकि आपकी विचारधारा चाहती है...'

इसके बाद ट्विटर और फेसबुक पर लोगों के विचारों की बाढ़ आ गई। एक तरफ वे लोग हैं जो कि भागवत के बयान पर सहमति जताते हुए भारत के संविधान को श्रेष्ठ बता रहे हैं तो दूसरी तरफ उनकी आलोचना और मुसलमानों पर अत्याचार की दुहाई दे रहे हैं। 

RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारतीय मुसलमान दुनिया में सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि जब भारतीयता की बात आती है तो सभी धर्मों के लोग साथ खड़े हो जाते हैं और केवल वे ही लोग अलगाव पैदा करते हैं जो कि स्वार्थी हैं और खुद के हित के लिए जीते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अकबर के खिलाफ महाराणा प्रताप के युद्ध के दौरान भी उनकी सेना में बड़ी संख्या में मुस्लिम सैनिक थे।

एक ट्विटर यूजर 'नैना राठौड़' ने कहा, 'क्या भागवत सोचते हैं कि हम मूर्ख हैं? क्या उन्हें नहीं पता कि पिछले 7 सालों में क्या हुआ है।' वहीं अनुपाल दास नाम की दूसरी ट्विटर यूजर ने कहा, 'अगर वास्तव में मुस्लिमों पर यहां अत्याचार हुआ तो यहां से भागकर मुस्लिम क्यों नहीं जाते बल्कि वे पाकिस्तान और बांग्लादेश से भागकर भारत में ही शरण लेते हैं।'

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी और मौलाना आजाद नैशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला के बीच भी इस बात को लेकर बहस हुई। जफर ने कहा कि अगर भारतीय मुसलमानों की मदद करनी है तो उन्हें सबसे पहले शिक्षा दिलाइए जो कि मैं कर रहा हूं। इस पर स्वाति ने कहा कि संविधान में मुस्लिमों को हिंदुओं की तरह अधिकार मिलने चाहिए।


'पाकिस्तान में दूसरे धर्मों को अधिकार नहीं'

भागवत ने कहा, 'कहीं नहीं। केवल भारत में ऐसा है।' उन्होंने कहा कि भारत के विपरीत पाकिस्तान ने कभी दूसरे धर्मों के अनुयायियों को अधिकार नहीं दिये और इसे मुसलमानों के अलग देश की तरह बना दिया गया। भागवत ने कहा, 'हमारे संविधान में यह नहीं कहा गया कि यहां केवल हिंदू रह सकते हैं या यह कहा गया हो कि यहां केवल हिंदुओं की बात सुनी जाएगी, या अगर आपको यहां रहना है तो आपको हिंदुओं की प्रधानता स्वीकार करनी होगी। हमने उनके लिए जगह बनाई। यह हमारे राष्ट्र का स्वभाव है और यह अंतर्निहित स्वभाव ही हिंदू कहलाता है।'



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