हार पर हाहाकार: अपने ही जमकर निकाल रहे भड़ास, आज जी-23 नेताओं की बैठक संभव
नई दिल्ली: गुरुवार को आए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके कार्यकर्ताओं को झूमने का मौका दे दिया है, वहीं कांग्रेस (Congress) की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं, क्योंकि उससे अब पंजाब राज्य की सत्ता भी छिन गई है. चुनाव से पहले ही पार्टी में निराशा की भावना साफ देखी जा सकती थी. अब इन नतीजों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संकेत दिया है कि आगे के रास्ते पर चर्चा के लिए पार्टी की वर्किंग कमिटी की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी. उम्मीद की जा रही है कि 23 सीनियर लीडरों का समूह जी-23 दोबारा अपनी आवाज बुलंद करने लगे.
अब आगे की रणनीति तैयार करने के लिए यह समूह जल्द ही बैठक करने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक आज हो सकती है. जी-23 अभी अपनी संख्या बढ़ाने में सफल नहीं रहा है. इसके सदस्यों ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और बागी नेता सचिन पायलट को अपने साथ आने का ऑफर दिया था, लेकिन इन दोनों नेताओं ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'मैं हैरान हूं, राज्य दर राज्य हमारी हार को देखकर मेरा दिल बैठा जा रहा है. हमने पार्टी को अपना पूरी जवानी और जीवन दिया है. मुझे यकीन है कि पार्टी का नेतृत्व उन सभी कमजोरियों और कमियों पर ध्यान देगा, जिनके बारे में मैं और मेरे सहयोगी काफी समय से बात कर रहे थे.'
उनके अलावा कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी नेतृत्व सुधार की बात कही. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'हम सभी जो कांग्रेस में विश्वास करते हैं, हाल के विधानसभा चुनावों के परिणामों से आहत हैं. यह भारत के उस विचार की पुष्टि करने का समय है, जिसके लिए कांग्रेस हमेशा खड़ी रही है और राष्ट्र को सकारात्मक एजेंडा देती है. हमें हमारे संगठनात्मक नेतृत्व को इस तरह से सुधारना है, जो उन विचारों को फिर से जीवंत करे और लोगों को प्रेरित करे. एक बात स्पष्ट है- यदि हमें सफल होना है तो परिवर्तन करना ही होगा.'
कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में मिली हार को समझने का प्रयास कर रही है, लेकिन पार्टी के भीतर असंतोष के स्वर उठने लगे हैं और खामोशी के साथ नेतृत्व में परिवर्तन की मांग जोर पकड़ रही है. आत्मनिरीक्षण और संबंधित सुधार के प्रयासों की बात भी की जा रही है. साथ ही यह भी चर्चा है कि पार्टी से कुछ और नेता अपनी दूरी बना सकते हैं, पहले भी देखा गया है कि राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले नई पीढ़ी के कई नेता पार्टी से अपना दामन छुड़ा चुके हैं.