पंचायत चुनावों में विपक्षी वोट विभाजन ने तृणमूल को 2024 की लोकसभा लड़ाई के लिए किया आश्वस्त
कोलकाता (एजेंसी): पश्चिम बंगाल में विपक्षी वोटों में विभाजन हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के पीछे एक प्रमुख कारक रहा है और इसने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में इसी प्रवृत्ति को जारी रखने को आश्वस्त किया है।
रुझान से उत्साहित, पश्चिम बंगाल कैबिनेट के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम नहीं बतानेे की शर्त पर स्वीकार किया कि ग्रामीण निकाय चुनावों में वाम मोर्चा, कांग्रेस और ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (एआईएसएफ) गठबंधन के वोट शेयर प्रतिशत के मुकाबले बीजेपी के वोट शेयर प्रतिशत में गिरावट आई है।
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि बीजेपी के लिए वोट शेयर प्रतिशत में गिरावट तिकड़ी गठबंधन के पक्ष में गई है, इससे हमें फायदा हुआ है। यह प्रवृत्ति 2024 के लोकसभा चुनावों में भी जारी रहेगी। हम आराम से अधिकांश सीटें जीत रहे हैं।”
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तीन बार के लोकसभा सदस्य सौगत रॉय के अनुसार, पंचायत चुनाव परिणामों का अब से एक साल से भी कम समय में होने वाले लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के लिए सकारात्मक प्रभाव डालना तय है।
उन्होंने कहा, "यहां तक कि बीजेपी ने अपने गढ़ में भी निराशाजनक प्रदर्शन किया है। बंगाल के लोगों ने बीजेपी को खारिज कर दिया है।"
दरअसल, बुधवार शाम को नतीजों का रुझान स्पष्ट होने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बॉडी-लैंग्वेज से भी आत्मविश्वास साफ झलक रहा था, क्योंकि उन्होंने 2024 के लिए पश्चिम बंगाल में किसी भी अन्य पार्टी के साथ किसी भी समझौते की परवाह नहीं करने का स्पष्ट संकेत दिया है।
उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस का नाम लिए बिना उसे कड़ा संदेश भी दिया।
उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन पर चर्चा चल रही है। इसलिए हर किसी को कुछ भी कहने से पहले सोचना चाहिए। अगर आप मुझे यहां गाली देते हैं, तो मैं वहां आपकी पूजा नहीं कर सकती। अगर आप भी मुझे उचित सम्मान देंगे तो मैं जवाब दूंगी।"
पंचायत प्रणाली के सभी त्रि-स्तरों में दूसरी सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद, ग्रामीण नागरिक निकाय चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 2021 में 38 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो गया।
दूसरी ओर, ग्रामीण निकाय चुनावों में जीती गई सीटों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद, कांग्रेस-वाम मोर्चा और ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (एआईएसएफ) के लिए उम्मीद की किरण वोट शेयर में महत्वपूर्ण सुधार है। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार इस तिकड़ी का वोट शेयर प्रतिशत 2021 के 10 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गया है।