उफ्फ! कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच काशी विश्वनाथ से भीड़ वाली डरावनी तस्वीर, रोक की तैयारी
वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से भारी भीड़ उमड़ रही है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर और जिला प्रशासन को मशक्कत करनी पड़ रही है। लगातार उमड़ रही भारी भीड़ को देखते हुए बाबा के स्पर्श और गर्भगृह में प्रवेश पर स्थाई रोक की तैयारी हो रही है। भक्तों को बाहर से ही झांकी दर्शन कराई जाएगी। जलाभिषेक के लिए गर्भगृह के पास विशेष पात्र लगाए जाएंगे।
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के मद्देनजर वरिष्ठ अधिकारियों ने मंथन शुरू कर दिया है। झांकी दर्शन के लिए शासन से अनुमति के लिए प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पूर्व ही मंदिर के आसपास के क्षेत्र के सुंदरीकरण कार्य व शिखर की सफाई के दौरान ही गर्भगृह में आमभक्तों के प्रवेश में पाबंदी लगा दी गयी थी। नए साल के पहले दिन उमड़ी भारी भीड़ के कारण तो आसपास के इलाकों में भी पैर रखने की जगह नहीं बची थी।
गर्भगृह के चारों प्रवेश द्वार पर बैरिकेड कर दिया गया है। पीतल के विशेष पात्र (अर्घ्या) के जरिए भक्तों को जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक कराया जा रहा है। मंदिर प्रशासन भक्तों को दबाव को देखते हुए इस व्यवस्था को स्थायी तौर पर लागू करने की तैयारी में है। अधिकारियों की मानें तो काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद सामान्य दिनों से पांच से आठ गुना ज्यादा भक्त पहुंच रहे हैं। फरवरी में पूरी तरह धाम खुलने के बाद निश्चित ही यह संख्या और बढ़ जाएगी।
गर्भगृह में सभी भक्तों को प्रवेश कराकर पूजन कराने में विगत दिनों पुलिस व प्रशासन पसीना-पसीना हो गया था। बाहर से पहुंच रहे भक्तों की बड़ी संख्या के मद्देनजर मंदिर प्रशासन ने वीआईपी दर्शन पर रोक लगाने के साथ ही काशीवासियों से सुबह 7 से 9 बजे तक दर्शन-पूजन नहीं करने की अपील की है।
इन तमाम कवायद के बावजूद भक्तों की संख्या में कोई कमी नहीं है। लिहाजा, मंदिर प्रशासन अब स्थायी तौर पर भक्तों को गर्भगृह के बाहर से ही पूजन कराने की व्यवस्था शुरू कराएगा। हालांकि इस सम्बंध में मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में झांकी दर्शन की व्यवस्था फौरी तौर पर लागू है। शासन के निर्देश पर स्थायी रूप से दर्शन कराने पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रशासन की तैयारी के मुताबिक गर्भगृह में केवल अर्चक, पुजारी और सेवादारों को प्रवेश दिया जाएगा। दैनिक पूजन और आरती की व्यवस्था निरंतर परम्परागत तरीके से जारी रहेगी। सेवादारों को केवल सफाई के लिए प्रवेश दिया जाएगा। यह व्यवस्था वर्तमान में चल रही है।