नई दिल्ली: रुपये की गिरावट पर बोलते हुए भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि डॉलर सूचकांक के मजबूत होने के कारण भारतीय रुपया अनिवार्य रूप से कमजोर हुआ है लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में इसकी पकड़ अच्छी है। ग्लोबल मार्केट में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.19 पर बंद हुआ था। खारा ने कहा कि भारतीय रुपया काफी अच्छा कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमसे बेहतर केवल इंडोनेशिया और ब्राजील हैं। जो आम तौर पर एक कमोडिटी आधारित अर्थव्यवस्था हैं। इसलिए केवल दो मुद्राएं हैं जिन्होंने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया।"
उन्होंने कहा, "रुपये में कमजोरी का मुख्य कारण अनिवार्य रूप से डॉलर इंडेक्स का मजबूत होना है।
भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि वैश्विक मंदी जिसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की ओर से आशंका जताई जा रही है, भारत में अन्य देशों की तुलना में अधिक असर नहीं छोड़ेगा।
खारा ने शुक्रवार को वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक के दौरान एक साक्षात्कार में बताया कि 6.8 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर और मुद्रास्फीति पर बहुत हद तक नियंत्रण के साथ भारत काफी अच्छा कर रहा है।
उन्होंने कहा "मुख्य रूप से यहां (भारत) में मांग के मामले में आवक दिख रही है यह सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण घटक है और अनिवार्य रूप से घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती इस पर निर्भर करती है। इसलिए इस दृष्टिकोण से मुझे लगता है कि वैश्विक मंदी का हम पर प्रभाव तो पड़ेगा पर यह उतना तीक्ष्ण नहीं होगा जितना विश्व की जुड़ी हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर यह सामान्य असर छोड़ेगा।
उन्होंने कहा "अगर हम बीटा फैक्टर को देखें तो शायद भारतीय अर्थव्यवस्था का बीटा फैक्टर कुछ अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत कम होगा जिनके पास निर्यात के एक महत्वपूर्ण घटक उपलब्ध हैं।
खारा ने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी 6.8 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर और वैश्विक बाधाओं के बावजूद मुद्रास्फीति 'काफी नियंत्रण में' रखते हुए बेहतर कर रहा है।
एसबीआई चेयरमैन के अनुसार मुद्रास्फीति का प्राथमिक कारण मांग आधारित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य रूप से आपूर्ति पक्ष से आ रही मुद्रास्फीति है।
उन्होंने कहा। "अगर हम वास्तव में मुद्रास्फीति के आपूर्ति-पक्ष को देखें, तो हमारे पास एक ऐसी स्थिति है जहां क्षमता उपयोग केवल 71 प्रतिशत है। ऐसे में क्षमता में सुधार के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। आपूर्ति शृंखला में व्यवधान अनिवार्य रूप से वैश्विक प्रतिकूलताओं के कारण आया है इसने कच्चे तेल की कीमतों पर भी प्रभाव डाला है।
एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि कुल मिलाकर दुनिया भर की सभी अर्थव्यवस्थाएं किसी न किसी परेशानी से से गुजर रही हैं और सरकार इन कारकों से निपटने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत के विकास की संभावनाओं में सुधार की उम्मीद है।