केवल पूर्ण लॉकडाउन ही एक विकल्प, डॉक्टर ने कहा - कोरोना की तीसरी लहर का डर
कोरोना और ओमिक्रॉन के चलते वायरस की तीसरी लहर का डर है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाने शुरु कर दिए हैं. इन प्रतिबंधों में से एक नाइट कर्फ्यू भी है. लेकिन ये नाइट कर्फ्यू कितना कारगर है ये कहना मुश्किल है. ऐसे में वॉकहार्ट अस्पताल मुंबई से सलाहकार आंतरिक चिकित्सा, डॉक्टर हनी सावला ने बताया कि कोरोना वायरस पर अंकुश लगाने के लिए केवल पूर्ण लॉकडाउन ही एक विकल्प है. वैज्ञानिक और चिकित्सकीय रूप से पूर्ण लॉकडाउन समाधान है लेकिन अब यह संभव नहीं है. साथ ही उन्होंने बताया कि नाइट कर्फ्यू लॉकडाउन की जगह नहीं ले सकता. उन्होंने कहा मास्क पहनें, सामाजिक दूरी बनाए रखें, सार्वजनिक सभा से बचें, उन राज्यों में जाने से बचें, जहां कोरोना वायरस के मामले हैं.
उन्होंने कहा वैकेशन पर जाने से बचना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आपको कोई लक्षण है तो संकोच न करें और तुरंत अपना टेस्ट करवाएं. यदि टीका नहीं लगाया गया है तो अभी प्रतीक्षा न करें, तुरंत कोविड 19 का टीका लगवाएं.
गौरतलब है कि ओमिक्रॉन देश के 21 राज्यों में पहुंच चुका है. यहां ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या 650 के पार हो गई है. तेजी से बढ़ते इन मामलों को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने लोगों के लिए कई तरह के निर्देश जारी किए हैं ताकि इस वायरस को फैलने से रोका जा सके. विदेशों में ये वैरिएंट पूरी तरह हावी हो चुका है और एक्सपर्ट्स का दावा है कि आने वाले दिनों में भारत में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिल सकती है.
डॉक्टर्स के मुताबिक डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के मरीजों में 4 अलग-अलग लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इसमें थकान, जोड़ों का दर्द, सर्दी और 102 से लेकर 108 डिग्री तक तेज बुखार महसूस हो रहा है. वहीं दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर्स का कहना है कि ओमिक्रॉन की संक्रामकता बहुत तेज है लेकिन इसकी वजह से हल्की बीमारी ही हो रही है.