श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर इलाके में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन शिक्षण संस्थाओं के अलावा इस खेल को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रयास नहीं हो रहे हैं। इलाके में स्कूली स्तर पर कई खिलाड़ी हैं लेकिन उनको बढ़ावा देने के लिए जिला स्तरीय खेलकूद विभाग ने प्रयास नहीं किया। हॉकी एकेडमी की बजाय एथलेटिक्स एकेडमी बना दी गई। पुराने खिलाड़ियों का कहना है कि पूरे प्रदेश में हॉकी खेल में श्रीगंगानगर की टीम का दबदबा था, अब यह गायब हो चुका है। आयोजकों और खिलाड़ियों में भी पहले जैसा जुनून नजर नहीं आता। हॉकी की किट और हॉकी खेल के अभ्यास के लिए टर्फ कोर्ट तक नहीं है। श्रीगंगानगर में पहले संचालित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के दौरान कई खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल तक खेल चुके हैं लेकिन सुविधाओं में इजाफा नहीं हो पाया। पुराने और अनुभवी कोच की नजर में यह इलाका हॉकी खेल के प्रति जाना जाता था लेकिन जैसे-जैसे क्रिकेट के प्रति ग्लैमर बढ़ा और हॉकी खेल में सुविधाओं की कमी आई तो हॉकी टूर्नामेंट होने कम हो गए। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में कई युवाओं में अब भी जोश है लेकिन इन प्रतिभाओं को तराश कर आगे लाने की जरूरत है। पूर्व जिला खेलकूद अधिकारी उम्मेद सिंह यादव का कहना है कि इलाकेवासियों ने भी प्रभावी ढंग से राष्ट्रीय खेल हॉकी को बचाने के लिए मांग को उठाया नहीं। विधायकों ने भी विधानसभा में सवाल तक नहीं किए। यदि प्रयास किए होते तो स्कूलों में अनिवार्य खेल करने से फिर से हॉकी का स्वर्णिम युग आ सकता है। इलाके के खिलाड़ी हॉकी जैसे खेल के लिए अच्छे हैं। लंबा कद और मजबूत कद काठी के खिलाड़ी हॉकी में अच्छे साबित हो सकते हैं लेकिन जिला स्तर पर पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाने से आगे नहीं बढ़ पाते। श्रीगंगानगर में हॉकी खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए टर्फ कोर्ट जरूरी है। इस इलाके में बेहतर खिलाड़ी का दबदबा रहा है।
ऐसे में टर्फ कोर्ट के प्रति यहां के लोगों को भी यह मांग प्रदेश स्तर पर उठानी चाहिए थी। श्रीकरणपुर क्षेत्र गांव 50 एफ के राउमावि के शारीरिक शिक्षक और हॉकी कोच गंगाबिशन का कहना है कि श्रीकरणपुर के माणकसर, पदमपुर, केसरीसहपुर क्षेत्र गांव गुरुसर, श्रीगंगानगर लोकल के स्कूली खिलाड़ियों के बलबूते पर प्रदेश में हमारे जिले का नाम रोशन हुआ, लेकिन संसाधनों की कमी है। एक हॉकी स्टिक खरीदने के लिए करीब दो हजार रुपए का खर्चा आता है। गोलकीपर की किट बीस हजार रुपए में आती है। खेल किट महंगी होने के कारण ज्यादातर सरकारी स्कूलों में हॉकी को ज्यादा महत्व नहीं मिल रहा हैं। प्रीमियर लीग की तरह हॉकी टूर्नामेंट होने लगे तो फिर से हॉकी का युग लौट सकता हैं। जिले की स्कूली टीम ने हॉकी में अपनी चमक बरकरार रखी है। अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी खेलकूद कमल सहारण के अनुसार शिक्षा सत्र 2009 से पहले सत्रह वर्षीय छात्र हॉकी में श्रीगंगानगर पांच बार विजेता रहा। शिक्षा सत्र 2009-2010 और वर्ष 2010-2011में लगातार सत्रह वर्षीय छात्र हॉकी विजेता रही। शिक्षा सत्र 2015-2016 में 19 वर्षीय छात्र हॉकी में विजेता बना। वर्ष 2016-2017 में 14 वर्षीय छात्र में तीसरा स्थान प्राप्त किया। पिछले साल वर्ष 2022 के नेहरू कप में श्रीगंगानगर की टीम पहले स्थान पर रही। शिक्षा सत्र 2007-2008 में 19 वर्षीय छात्रा टीम प्रथम, वर्ष 2008-2009 में 19 वर्षीय छात्रा टीम ने दूसरा, वर्ष 2009-2010 में 19 वर्षीय छात्रा टीम को तृतीय, 2012-2013 में 17 वर्षीय छात्रा टीम प्रथम रही। वहीं 2013-2014 में 17 वर्षीय छात्रा प्रथम, वर्ष 2015-2016 और 2016-2017 में 19 वर्षीय छात्र टीम लगातार प्रथम रही। वर्ष 2017-2018 में 17 वर्षीय छात्रा प्रथम स्थान पर कब्जा जमाया। इसके साथ साथ वर्ष 2018-2019 में 14 वर्षीय में तीसरा, 17 वर्षीय में प्रथम और 19 वर्षीय में दूसरा स्थान मिला। वर्ष 2021 में 19 वर्षीय छात्रा में तीसरा, वर्ष 2022 में 19 वर्षीय में तीसरा और 17 वर्षीय में पंचम स्थान मिला।