पत्रकार के इस सवाल पर बोले किसान- 'मोदी ने हमारा नाश कर दिया, पर हम भी नहीं लौटेंगे'

देशभर से आए किसान पिछले 7 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं।

Update: 2021-06-27 17:19 GMT

देशभर से आए किसान पिछले 7 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानूनी गारंटी की भी मांग कर रहे हैं। आंदोलन के 7 महीने पूरे होने को लेकर जब एक टीवी न्यूज चैनल के पत्रकार ने किसान से कहा कि इतने दिन होने के बाद भी आपको कुछ नहीं मिला। तो किसान ने जवाब देते हुए कहा कि मोदी ने तो हमारा नाश कर दिया लेकिन हम भी यहां से नहीं लौटेंगे।

दरअसल किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर न्यूज 24 के पत्रकार राजीव रंजन ने गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद किसानों से सवाल पूछते हुए कहा कि आप यहां बॉर्डर पर समय तो बिता रहे हो लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है। इसके जवाब में एक किसान ने कहा कि हम तो बिल्कुल परेशान हैं, मोदी ने तो हमारा नाश कर दिया है लेकिन हम भी यहां से लौटने वाले नहीं हैं। बॉर्डर पर अब तो और भी लोग आने लगे हैं। पहले से ज्यादा संख्या बढ़ने वाली है।  आगे किसान ने कहा कि हम तो अपनी फसलों को तैयार करके आ गए हैं, अब तो यहां से नहीं जाने वाले हैं। सरकार हमारी बात सुनेगी तो ठीक है, नहीं तो हम भी यहीं बैठे हुए हैं। बॉर्डर पर ही मौजूद एक और किसान ने कहा कि 7 महीने हो जाए या 10 साल.. हम यहीं बैठे रहेंगे। बिना कानूनों को वापस कराए हुए यहां से नहीं जाएंगे।
शनिवार को किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर किसानों ने पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में प्रदर्शन किए। पंजाब-हरियाणा के किसानों ने पुलिस के द्वारा लगाए गए अवरोधकों को तोड़कर चंडीगढ़ के राज्यपाल भवन की तरफ बढ़ने की कोशिश की। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने किसानों को रोकने के लिए पानी की बौछार भी की। कमोबेश यही स्थिति अधिकांश राज्यों की राजधानी में देखने को मिली। दरअसल किसानों ने 26 जून को सभी राज्यों के राज्यपाल भवन के बाहर धरना देने और गवर्नर को ज्ञापन सौंपने का ऐलान किया था।
आंदोलन के 7 महीने होने के बाद भी किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है। जनवरी माह के अंतिम में ही दोनों के बीच बातचीत हुई थी। इस मीटिंग में केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसको नामंजूर कर दिया था। किसानों ने कहा था कि कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई भी फैसला मंजूर नहीं किया जाएगा। हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कह दिया है कि केंद्र सरकार कानून के किसी भी प्रावधान पर बात करने को तैयार है लेकिन कानूनों को वापस लेने पर कोई बातचीत नहीं होगी।
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