ओमिक्रॉन की जांच 250 रुपये में, 12 जनवरी से बाजार में उपलब्ध होगी ये कीट
कोरोना के बढ़ते संकट और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे को देखते हुए केंद्र समेत सभी राज्य सरकारें अलर्ट हो गई हैं. ओमिक्रॉन को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है, केंद्र ने एक ऐसी नई आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को मंजूरी दे दी है जो कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के संक्रमण के बारे में बताएगी. साथ ही इसमें तेजी भी आएगी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कल बुधवार को ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने के लिए खास किट ओमीश्योर (OmiSure) के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी. ओमीश्योर किट का निर्माण टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स (TataMD) द्वारा किया गया है और इस किट को 30 दिसंबर को मंजूरी मिली थी.
ओमीश्योर किट से ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने में तेजी लाएगी, क्योंकि अभी तक जीनोम अनुक्रमण की टेस्टिंग के लिए सैंपल्स को बड़े और एक्सपर्ट लैब भेजना पड़ता था. इस प्रक्रिया में जीनोम अनुक्रमण में कई दिन लग जाया करते थे. कंपनी की ओर से एक बयान में बताया दया कि लैब में परीक्षण के लिए कीमत 250 रुपये तय की गई है. कंपनी के मुताबिक यह किट 12 जनवरी से बाजार में उपलब्ध होगी.
नए किट के बारे में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा, 'अच्छी खबर यह है कि ओमिक्रॉन का पता लगाने वाले RT-PCR किट को TataMD और ICMR के साथ साझेदारी में तैयार किया गया है, और इसे भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल द्वारा अनुमोदित किया गया है. यह नई किट चार घंटे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का परीक्षण करेगी और देश के जीनोम अनुक्रमण प्रयासों को बढ़ावा देगी. कंपनी की ओर से कहा गया, 'टाटा एमडी भारत और विश्व स्तर पर उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए नियामक निकायों, और केंद्र तथा राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी. समानांतर में, हमने अपनी उत्पादन क्षमता, आपूर्ति श्रृंखला और कच्चे माल की सूची को बढ़ाने के लिए काम शुरू कर दिया है ताकि प्रति दिन दो लाख ओमीश्योर टेस्ट किट दिए जा सकें.' ICMR के साथ साझेदारी में तैयार की गई किट ने ओमिक्रॉन सहित Sars-CoV-2 वेरिएंट के लिए 100% संवेदनशीलता और 99.25% विशिष्टता की सूचना दी.
इससे पहले देश में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए जिस किट का उपयोग किया जा रहा है, उसे अमेरिका स्थित वैज्ञानिक उपकरण कंपनी थर्मो फिशर (Thermo Fisher) द्वारा विकसित किया गया किट है. यह ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए एस जीन टारगेट फेल्योर (S Gene Target Failure, SGTF) रणनीति का उपयोग करता है.