भारत में Omicron: ...तो देश में अस्पताल हो सकते हैं फुल, लेकिन राहत की खबर ये है!

Update: 2022-01-02 06:33 GMT

नई दिल्ली: भारत में ओमिक्रॉन (Omicron) के बढ़ते मामलों के बीच तीसरी लहर शुरू होने की बात कही जा रही है. ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही मुसीबत और बढ़ा सकती है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) ने भारत में दूसरी लहर का सटीक अंदेशा जताया था. ऐसे में तीसरी लहर (third wave) की चेतावनी भी भारत के लिए बड़ा खतरा है. देश में अब तक चौबीस से ज्यादा राज्यों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस सामने आ चुके हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ लोग बहुत सामान्य लक्षणों की बात कहकर लापरवाह हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. कोरोना में जानलेवा बने डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन का खतरा भी बना हुआ है.

डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन 60 से 70 फीसदी तक अधिक संक्रामक
बीते साल अप्रैल मई के महीने में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के कारण बीमार हुए लोगों के फेफड़े पर वायरल ने अटैक कर दिया था. उस समय सांस लेना भी मुश्किल हो गया था. ऑक्सीजन की किल्लत हो गई थी. क्या ओमिक्रॉन के लक्षण डेल्टा के मुकाबले हल्के हैं? एम्स के महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजय राय ने कहा कि जो डेटा आ रहा है, उसके अनुसार, राहत देने वाली बात यह है कि यह डेल्टा की तुलना में माइल्ड है. साउथ अफ्रीका में भी यही पाया गया था. साउथ अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन में बाकायदा इसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित की है. यूके में भी रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं. यह डेल्टा की तुलना में 60 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है.
ओमिक्रॉन में अब तक नहीं आई गंभीर नौबत
क्या ओमिक्रॉन के मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है? इसके जवाब में दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉक्टर सुरेश कुमार का कहना है कि एक भी मामले में मरीज को आईसीयू, ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी है, रूम ऑक्सीजन पर ही मेंटेन कर रहे थे, सभी मरीज सामान्य थे, सभी ठीक हो चुके हैं.
ऐसे में सवाल है कि क्या अल्फा और डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन का असर फेफड़े पर नहीं हो पा रहा है? इसके जवाब में डॉक्टर सर गंगाराम अस्पताल के धीरेन गुप्ता ने कहा कि ओमिक्रॉन पुराने वैरिएंट की तुलना में ऊपरी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. ओमिक्रॉन में खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होते हैं. उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन जापान में ज्यादा सटीक स्टडी की गई है. इसके अनुसार, ओमिक्रॉन सांस के रास्तों को बहुत अधिक प्रभावित करता है.
अब तक देखा जा रहा है कि ओमिक्रॉन से संक्रमण ज्यादा है, अस्पताल जाने की नौबत कम फिर भी सावधानी क्यों जरूरी है? इस पर सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता का कहना है कि रिस्क कम है, डेल्टा से प्रभावित 100 में से 15 को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी थी. वहीं ओमिक्रॉन में 100 में से एक या दो लोगों को अस्पताल जाना पड़ा है. भारत में अगर मरीज बढ़े तो अस्पताल ओवरफुल हो सकते हैं, ये हमारी मेजर प्रॉब्लम हो सकती है, इसलिए सावधानी बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोगों को मास्क पहनकर रखना चाहिए. भीड़ में जाने से बचने की जरूरत है. हाथ धुलते रहना चाहिए.
सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि देश में बच्चों को वैक्सीन जरूर लगनी चाहिए. देश में वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद से हम इंतजार कर रहे थे कि बच्चों का वैक्सीनेशन कब शुरू होगा. वाकी लोग वैक्सीनेशन से सुरक्षित हो चुके हैं, लेकिन बच्चों के लिए खतरा बना हुआ है.
इजरायल अपने नागरिकों को लगाने लगा चौथी बूस्टर डोज
दुनियाभर के 35 से ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं. इजरायल ने तो ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए चौथी बूस्टर डोज देनी शुरू कर दी है और वो ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन चुका है. इजरायल में बूस्टर डोज को लेकर शेबा मेडिकल सेंटर की हेड प्रो. गालिया रहाव का कहना है कि वैक्सीन बेहद प्रभावी है, हार्ट पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं है. हम चौथी डोज के रिस्पांस का इंतजार कर रहे हैं.
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