किताब 'पार्लियामेंट लाइब्रेरी- ए सेंटेनियल जर्नी' का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया विमोचन
नई दिल्ली (आईएएनएस)| गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर मंगलवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सौ वर्षों के दौरान संसद ग्रंथालय की गौरवशाली यात्रा को दर्शाने वाली किताब 'पार्लियामेंट लाइब्रेरी- ए सेंटेनियल जर्नी' का विमोचन किया। इसके साथ ही बिरला ने ²ष्टिबाधित व्यक्तियों की संसद के ग्रंथालय के संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने वाली सुविधाओं का भी उद्घाटन किया। संसद ग्रंथालय में अब ऐसी आवश्यक सहायक प्रौद्योगिकी (हार्डवेयर उपकरण और सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन) उपलब्ध है, जो ²ष्टिबाधित व्यक्तियों की संसद ग्रंथालय के संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
मंगलवार को लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा के अलावा कई वर्तमान और पूर्व सांसदों ने भी संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी कार्यक्रम के भाग के रूप में, देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों और कॉलेजों से चुने गए युवा प्रतिभागियों ने भी संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर बोलते हुए लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने राष्ट्रवाद, देशभक्ति और स्वतंत्रता पर लिखी उनकी कविताओं से भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई लोगों को प्रेरणा मिलने की बात कहते हुए इस बात का उल्लेख भी किया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि विविधता में एकता ही भारत की राष्ट्रीय एकता का एकमात्र मार्ग है। शिक्षा के बारे में गुरुदेव टैगोर के ²ष्टिकोण के बारे में बोलते हुए बिरला ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। गुरुदेव ने सदैव अनुभव किया कि शिक्षा को व्यावहारिक बनाना आवश्यक है।
रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों और दर्शन में भारतीय मूल्यों के महत्व के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि गुरुदेव ने पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन किया और भारतीय ग्रंथों, महाकाव्यों, उपनिषदों को भी पढ़ा लेकिन उन्होंने भारत के युवाओं को भारतीय संस्कृति और भारतीय मूल्य अपनाकर आधुनिक बनने का संदेश दिया। उन्होंने आगे कहा कि आज जब भारत एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य विषय के साथ देशों के जी-20 समूह का नेतृत्व कर रहा है, हम गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के संदेश और दर्शन को ही आगे ले जा रहे हैं।
उन्होंने राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुदेव टैगोर का ²ष्टिकोण और दर्शन अत्यंत आधुनिक था और वे कहा करते थे कि आज का युवा कल का भविष्य है। गुरुदेव ने अपने समय की युवा पीढ़ी को देश और पूरे विश्व के कल्याण के लिए शिक्षित, अनुशासित और प्रेरित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
इस अवसर पर, लोक सभा सचिवालय द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन पर हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तिका की प्रति विशिष्टजनों को दी गई।
आपको बता दें कि, संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के चित्र का अनावरण 12 सितंबर 1958 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा किया गया था।