मध्य प्रदेश में संविदा कर्मचारियों का फैसला करेंगे अधिकारी, कांग्रेस ने उठाए सवाल

Update: 2023-07-23 06:30 GMT
भोपाल: मध्य प्रदेश में संविदा कर्मचारियों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने दिशा निर्देश जारी कर सक्षम अधिकारियों को फैसले का अधिकार दिया है। सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने संविदा कर्मचारी विरोधी करार दिया है क्योंकि अब कोई भी संविदा कर्मचारी नियमित नहीं हो पाएगा।
सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न विभागों में संविदा पर नियुक्त अधिकारियों- कर्मचारियों की सेवा शर्तों के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही विभागों से कहा गया है कि इन दिशा निर्देशों के अनुरूप अपने प्रशासकीय सेटअप तथा भर्ती नियमों में आवश्यक परिवर्तन कर नियमों का पालन किए जाना सुनिश्चित किया जाए।
जारी निर्देशों में कहा गया है कि मध्य प्रदेश शासन के विभागों के अंतर्गत आने वाले निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय, विश्वविद्यालय, आयोग, विकास प्राधिकरण, बोर्ड, परिषद, संस्थाएं इन दिशा निर्देशों को अपने संविदा कर्मियों के लिए लागू करने के संबंध में अपने स्तर पर समुचित निर्णय लेने के लिए सक्षम होंगे।
दिशा निर्देश में संविदा अधिकारियों कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियुक्ति के अवसर, उनकी सेवा काल में मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति, संविदा पदों की नियमित पदों से समकक्षता का निर्धारण, उनके पारिश्रमिक का पुनरनिर्धारण एवं वार्षिक वृद्धि, अवकाश स्वीकृति, उनके साथ अनुबंध निष्पादन, उनके आश्रितों को उपादान भुगतान, उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ, उनका सेवा मूल्यांकन एवं उनके विरुद्ध कार्यवाहियों से संबंधित प्रावधान, उन्हें स्वास्थ्य बीमा लाभ तथा अन्य महत्वपूर्ण निर्देशों को सम्मिलित किया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संविदा कर्मचारियों के लिए लंबे अरसे से लड़ाई लड़ रहे सैयद जाफर ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों को दिया धोखा। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा संविदा कर्मचारियों को परमानेंट करने की मांग आज भी अधूरी है, लेकिन संविदा कर्मचारी शिवराज सरकार में अब हमेशा संविदा पर ही परमानेंट रहेगा।
जाफर ने आगे कहा, संविदा कर्मचारी की नियुक्तिकर्ता अधिकारियों को कभी भी संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के अधिकार आज भी बरकरार है। सवाल है कि कैसे होगा संविदा कर्मचारी का भविष्य सुरक्षित। कांग्रेस के कार्यकाल के फैसले की जानकारी देते हुए जाफर ने बताया कि 2018 में बनाई गई संविदा नीति के तहत संविदा कर्मचारियों को नियमित पद के समकक्ष 90 फीसदी मानदेय देना था लेकिन आज तक नहीं दिया गया। संविदा नीति 2018 के अंतर्गत 20 प्रतिशत संविदा कर्मचारियों को नियमित करना था, आज तक कोई संविदा नियमित नहीं हुआ।
राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा मध्य प्रदेश शासन के समान प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई संविदा नीति 2023 में नियमित पद के समकक्ष 100 प्रतिशत मानदेय देने का उल्लेख तो है लेकिन इतने जटिल नियमों के तहत शिवराज सरकार कब दे पाएगी कोई भरोसा नहीं। 2018 संविदा नीति में 20 प्रतिशत नियमित करने के स्थान पर 50 प्रतिशत का उल्लेख तो है लेकिन नियम इतने जटिल हैं कि शिवराज सरकार किसी को भी नियमित नहीं कर पाएगी।
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