OBC आरक्षण मामला: कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रख सकते हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में आधी आबादी ओबीसी वर्ग (OBC) की मानी जाती है.
मध्यप्रदेश (madhya pradesh) में आधी आबादी ओबीसी वर्ग (OBC) की मानी जाती है. लंबे समय से प्रदेश की जनता ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग कर रही है. अब इसको लेकर राज्य में राजनीति तेज हो गई है. भोपाल के अंबेडकर मैदान में ओबीसी वर्ग के संगठन बुधवार को सरकार के खिलाफ आंदोलन करने पहुंचे. इस दौरान कांग्रेस के कई नेता और विधायक भी इस आंदोलन में शामिल हुए हैं.
ओबीसी संगठनों का अपनी मांग को लेकर सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे थे. इस दौरान ओबीसी संगठनों के साथ पुलिस की काफी धक्कामुक्की हुई. जिसके बाद पुलिस ने कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया.
कमलनाथ सरकार ने कर दिया था 27 प्रतिशत OBC आरक्षण
ओबीसी आरक्षण का मामला मध्यप्रदेश में तब उठा था. जब कमलनाथ की कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी. 24 जुलाई 2019 को विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को सर्वसम्मति से 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था. कांग्रेस ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में ये वादा किया था. इस विधेयक को तत्कालीन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी भी दे दी थी.
सरकार और विधानसभा के इस फैसले को याचिकाकर्ता आकांक्षा दुबे और अन्य ने उच्च न्यायालय जबलपुर में चुनौती दी. उनका कहना था कि यह इंदिरा साहनी मामले में न्यायालय के उस फैसले का उल्लंघन है, जिसमें 50 प्रतिशत से ऊपर सीटें आरक्षित न किए जाने का आदेश दिया गया था.
राज्य में इतनी है इस वर्ग की आबादी
राज्य में ओबीसी की आबादी 50.09 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 21.1 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 16.6 प्रतिशत और आरक्षण न पाने वाले लोगों की आबादी 13.27 प्रतिशत है. अगर जाति की जनसंख्या के मुताबिक आरक्षण की स्थिति देखें तो 50.09 प्रतिशत आबादी वाले ओबीसी को 14 % , 21.1 प्रतिशत एसटी को 20 % और 16.6 प्रतिशत एससी को 16 % आरक्षण मिल रहा है. ऐसे में ये कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 % है.
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताई मांग जायज
इस मामले में कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि ओबीसी वर्ग के लोगों की मांग जायज है और सरकार उनकी मांगों पर उनके साथ है. सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश करेगी कि सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण की उनकी मांग पूरी हो. इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का एक पैनल बनाने का फैसला किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करेंगे.
सरकार का कहना है कि कांग्रेस ने खुद इस मामले में ढ़िलाई बरती जिसकी वजह से आरक्षण का मामला कोर्ट में अटका हुआ है. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाली 10 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई है, जिसमें सरकार की ओर से मजबूती से पक्ष रखा जाएगा कि ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया जाए.
कांग्रेस ने दिया ओबीसी वर्ग को धोखा
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को धोखा दिया है. कमलनाथ ने पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व पिछड़ा वर्ग के वोट बटोरने के लिए 27% आरक्षण की घोषणा कर दी थी और बाद में खुद के लोगों से ही न्यायालय में उसके विरुद्ध याचिका लगवा दी. इस पर कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा है कि हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के हित के लिये उनके आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया था. शिवराज सरकार में इच्छाशक्ति के अभाव , कमजोर पैरवी और ठीक ढंग से पक्ष नही रखने के कारण यह आज तक लागू नही हो पाया है ? कांग्रेस ओबीसी महासभा के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करती है.