नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद पर चल रहा विवाद अभी भी जारी है। हाल ही में अमेरिका ने भाजपा के पूर्व नेताओं के बयान की निंदा की हालांकि उसकी तरफ से भाजपा की कार्रवाई पर खुशी जताई गई। इसी कड़ी में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि लोगों की संवेदनशीलता और समझ प्रभावित हुई, लेकिन उन देशों ने इस बात की तारीफ भी की कि भारत सरकार का इस विवादित टिप्पणी से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा की स्थिति नहीं थी।
दरअसल, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को जोर देकर कहा कि जो कहा गया था वह भाजपा की स्थिति नहीं थी और पार्टी ने इसे बहुत मजबूत शब्दों में स्पष्ट कर दिया था और कार्रवाई भी की थी। उन्होंने कहा कि ना केवल खाड़ी के देश, बल्कि चिंता व्यक्त करने वाले दक्षिण-पूर्व एशिया के भी कुछ देशों ने इस बात की सराहना की कि यह भारत सरकार की स्थिति नहीं थी।
जयशंकर ने कहा कि एक बार पार्टी ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी तो उन्हें उम्मीद है कि लोग इसे समझेंगे। विदेश मंत्री ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे लोग होंगे जो बहती गंगा में हाथ धोना चाहेंगे। अंतरराष्ट्रीय संबंध बहुत ही प्रतिस्पर्धी खेल है, जो क्वींसबेरी नियमों द्वारा नहीं खेला जाता है। ऐसे लोग होंगे जो इससे अपना फायदा ढूंढने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें ऐसे मामले में अपनी बात रखने की जरूरत है और हम ऐसा कर रहे हैं। यहां तक कि पिछले कुछ दिनों में आप देख सकते हैं कि लोग समझते हैं कि भारत में सही तस्वीर क्या है। यह पूछे जाने पर कि भारत को उन देशों द्वारा क्यों उपदेश दिया जाना चाहिए जो लोकतांत्रिक दृष्टि से इस मामले में कहीं नहीं टिकते, मंत्री ने कहा कि वह पूरे मुद्दे को उस तरह से नहीं देखते हैं।
वहीं इस मामले पर हाल ही में अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम भाजपा के दो आधिकारियों की तरफ से की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की निंदा करते हैं और हम यह देखकर खुश हैं कि पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर उन बयानों की निंदा की। उन्होंने कहा कि हम धर्म या आस्था की आजादी समेत मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर नियमित रूप से भारत सरकार के संपर्क में रहते हैं और हम भारत को मानवाधिकार के लिए सम्मान बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने 26 मई को पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी की थी। इसपर कई इस्लामिक देशों ने खासी नाराजगी जाहिर की थी। इनमें कई देश ऐसे थे, जिनके भारत के साथ संबंध करीबी माने जाते हैं। बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से औपचारिक तौर पर निंदा की मांग की थी।