जानें, कौन-कहां से जीता...एनएसयूआई का सूपड़ा साफ, मुख्यमंत्री के गृह जिले से आई ये खबर

Update: 2022-08-28 03:26 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

जयपुर: राजस्थान में प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई को करारा झटका लगा है। कैंपस के चुनावों में एनएसयूआई का सूपड़ा साफ हो गया है। प्रदेश की 14 यूनिवर्सिटी में 5 पर एबीवीपी, दो पर एसएफआई बाकी 7 पर निर्दलीयों का कब्जा हुआ है। सीएम गहलोत और सचिन पायलट के गढ़ में एनएसयूआई का हार का सामना करना पड़ा है। एनएसयूआई को राजस्थान के 14 विश्वविद्यालयों में से एक भी विश्वविद्यालय में जीत नहीं मिल सकी है। हालात यह है कि ना तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर, सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक और पीसीपी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले सीकर में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा। जिन 14 यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई चुनाव हारी है। वहां से गहलोत सरकार के 16 मंत्री आते हैं। जिन में से 14 दिग्गजों का तो उन यूनिवर्सिटी और कॉलेज से संबंध है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जेएनवीयू के पूर्व विद्यार्थी भी हैं। वहीं सीकर के एसके कॉलेज में गोविंद डोटासरा ने पढ़ाई की है। इसी तरह से राजस्थान विश्वविद्यालय में मंत्री महेश जोशी और प्रताप सिंह अध्यक्ष रह चुके है। भरतपुर के महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय खुद विश्वेंद्र सिंह के पूर्वजों के नाम से है। ऐसे में इन सभी यूनिवर्सिटी से ज्यादातर मंत्रियों का जुड़ाव भी है। गहलोत के मंत्री परसादी लाल मीना, मुरारी लाल मीना, टीकाराम जूली और ममता भूपेश के गढ़ में एनएसयूआई का हार का सामना करना पड़ा है। सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के गृह जिले जोधपुर में दोनों विश्वविद्यालय जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और एमबीएम यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई को हार का सामना करना पड़ा। जिस जेएनवीयू में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पढ़ाई की थी। उसमें एसएफआई के अरविंद सिंह भाटी और एमबीएम से निर्दलीय चंद्रांशु खीरीया ने जीत हासिल की है।
छात्रसंघ चुनावों में टिकट वितरण को लेकर उपजा असंतोष सड़क पर आ सकता है। मंत्री मुरारी लाल मीना ने हाल ही में इशारों ही इशारों में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष पर निशाना साधा था। मुरारी लाल ने कहा कि एनएसयूआई ने टिकट वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान विवि से मंत्री मुरारी लाल मीना की बेटी निहारिका को एनएसयूआई ने टिकट नहीं दिया था। निहारिका जोरवाल ने बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी को तौर पर चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रही। राजस्थान विश्वविद्यालय से निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल चौधरी ने निहारिका जोरवाल को 1300 से अधिक मतों से हराया। माना जा रहा है कि करारी हार पर एनएसयूआई में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो सकता है।
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