वतन पर मिटने वालों का अब ये नया पता होगा, गणतंत्र दिवस से पहले केंद्र का बड़ा कदम

Update: 2022-01-21 03:18 GMT

नई दिल्ली: इंडिया गेट (India Gate) पर जल रही 'अमर जवान ज्‍योति' (Amar Jawan Jyoti) का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय होगा। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार दोपहर अमर जवान ज्‍योति का एक हिस्‍सा नैशनल वॉर मेमोरियल ले जाया जाएगा। 3.30 बजे दोनों लौ का विलय समारोह होगा। दोनों स्‍मारकों के बीच की दूरी बमुश्किल आधार किलोमीटर है।करीब तीन साल पहले, 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नैशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्‍योति कब और क्‍यों जलाई है और उसका नैशनल वॉर मेमोरियल में विलय क्‍यों हो रहा है।

अमर जवान ज्‍योति : कब, कहां और क्‍यों जलाई गई?
अमर जवान ज्‍योति दिल्ली की सबसे मशहूर जगहों में से एक, इंडिया गेट के नीचे स्थित है। इंडिया गेट को अंग्रेजों ने 1921 में बनवाया था, उन 84,000 सैनिकों की याद में जो पहले विश्‍व युद्ध और बाद में शहीद हुए।
3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 तक भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध चला। भारत की निर्णायक जीत हुई और बांग्‍लादेश अस्तित्‍व में आया। इस पूरे अभियान के दौरान, भारत के कई वीर जवानों ने प्राणों का बलिदान किया।
जब 1971 युद्ध खत्‍म हुआ तो 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्‍योति जलाने का फैसला हुआ। जगह चुनी गई इंडिया गेट। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को (भारत का 23वां गणतंत्र दिवस) अमर जवान ज्‍योति का उद्घाटन किया।
निस्‍वार्थ समर्पण और बहादुरी का प्रतीक है अमर जवान ज्‍योति
अमर जवान ज्‍योति एक काले मार्बल का फलक है जिसके चारों तरफ स्‍वर्णाक्षरों में 'अमर जवान' लिखा हुआ। इसके ऊपर एक L1A1 सेल्‍फ लोडिंग राइफल रखी है और उसपर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है।
इस फलक के चारों तरफ कलश रखे हुए हैं, जिनमें से एक में ज्‍योति 1971 से जली आ रही है। यूं तो चारों कलशों में ज्‍योति जलती है मगर पूरे साल भर चार में से एक ही ज्‍योति चलती रहती है। स्‍वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर चारों कलशों की ज्‍योति जलाई जाती है। अमर जवान ज्‍योति पर सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिक तैनात रहते हैं।
1971 के 2006 के बीच, ज्‍योति जलाने के लिए LPG का इस्‍तेमाल होता था। उसके बाद से सीएनजी इस्‍तेमाल की जानी लगी।
क्‍यों इतनी खास है अमर जवान ज्‍योति?
यहां शहीदों के नाम स्‍वर्णाक्षरों में अंकित हैं। 1971 में निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्‍य गणमान्‍य हस्तियां अमर जवान ज्‍योति पर माल्‍यार्पण करती हैं। हर साल उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्‍होंने भारत की रक्षा में जान कुर्बान कर दी।
हालांकि फरवरी 2019 में राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक के उद्घाटन के बाद से, यह परंपरा वहां शिफ्ट हो गई। इसके बावजूद इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्‍योति पर भारी भीड़ जुटा करती थी। फिलहाल यह एरिया सेंट्रल विस्‍टा प्रॉजेक्‍ट के निर्माण की वजह से बंद है।
अब नैशनल वॉर मेमोरियल में अमर चक्र
नैशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में भी अमर जवान ज्योति है। इंडिया गेट पर जल रही लौ को इसी में मर्ज किया जाना है। गणतंत्र दिवस परेड से पहले शहीदों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा अब यहां शिफ्ट हो गई है। उससे इतर भी, अहम अवसरों पर सेना के वरिष्‍ठ अधिकारी यहां माल्‍यार्पण करते हैं।
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