दलितों के बच्चों की पढ़ाई में अब स्कालरशिप के लिए नई गाइडलाइन तय

अनुसूचित जाति के बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए फिलहाल केंद्र सरकार फिक्रमंद

Update: 2021-04-02 18:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली।  अनुसूचित जाति के बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए फिलहाल केंद्र सरकार फिक्रमंद है। यही वजह है कि केंद्र ने एससी पोस्टमैट्रिक स्कालरशिप स्कीम की जो नई गाइडलाइन तैयार की है, उनमें शैक्षणिक संस्थानों को अब इन बच्चों को पढ़ाना ही होगा। इस नई गाइडलाइन में वहीं शैक्षणिक संस्थान पात्र भी होंगे, जो गुणवत्ता के तय मानकों को पूरा करेंगे। जिसमें 2024 तक ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों को नैक की मान्यता हासिल करना जरूरी होगा, अन्यथा उन्हें वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी।

एससी पोस्टमैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के फंडिग पैटर्न में बड़े बदलाव
एससी पोस्टमैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के फंडिग पैटर्न में बड़े बदलाव के बाद केंद्र ने अब नई गाइडलाइन को भी मंजूरी दी है। जिसे सभी राज्यों को अमल के लिए भेजा गया है। इस स्कीम को जो बड़े बदलाव किए गए हैं, उनमें बच्चों को स्कूल या कालेज आना ही होगा। साल में 75 फीसद उपस्थिति जरूरी होगी। उपस्थिति आधार कार्ड पर आधारित होगी। इसे संस्थानों को समय-समय पर पोर्टल पर अपलोड करना होगा। साथ ही पढ़ाई करने वाले बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन की भी जानकारी साझा करनी होगी। यानी स्कीम के तहत कोई बच्चा स्नातक की पढ़ाई कर रहा है, तो पहले साल उसका रिजल्ट कैसा था। दूसरे साल में कुछ बेहतर हुआ या नहीं। फिलहाल इस पहल से शिक्षा मंत्रालय की सभी को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की मुहिम में भी मदद मिलेगी।
छात्रवृत्ति की राशि हड़पने पर था शैक्षणिक संस्थानों का फोकस
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस स्कीम के तहत अब तक जो देखने को मिल रहा था, उनमें शैक्षणिक संस्थानों का फोकस छात्रवृत्ति स्कीम के तहत मिलने वाले पैसे को हड़पने पर ही ज्यादा था। इस बीच बड़ी संख्या में ऐसे उच्च शिक्षा संस्थान और स्कूल तैयार हो गए थे, जहां ऐसे एससी बच्चों को बड़े पैमाने पर प्रवेश दिया जाता था, लेकिन पढ़ाई नहीं होती थी। बच्चे भी इन स्कूलों में नहीं आते थे। ऐसे में सरकारी पैसे और एससी बच्चों दोनों का नुकसान होता था।
अब सीधे छात्रों के खाते में भेजी जाएगी छात्रवृत्ति
एससी पोस्टमैट्रिक स्कालरशिप स्कीम की नई गाइडलाइन में सरकार ने फंडिग पैटर्न में भी बदलाव किया है। इसके तहत छात्रवृति का पूरा पैसा अब डीबीटी के जरिए सीधे छात्रों के खाते में भेजा जाएगा। अभी तक यह पैसा राज्यों को दिया जाता था, जो बाद में शैक्षमिक संस्थानों को देते थे। जहां से यह छात्रों को दिया जाता था। इसके साथ ही नई गाइडलाइन के तहत राज्यों को पहले अपने हिस्से का भुगतान करना होगा। साथ ही इसका ब्यौरा केंद्र को साझा करना होगा।
इसके आधार पर केंद्र भी अपने हिस्से की राशि सीधे छात्रों के खाते में भेजेगी। हाल ही में केंद्र सरकार ने एससी पोस्टमैट्रिक स्कालरशिप के फंडिग पैटर्न में बडा बदलाव करते हुए इसे भी दूसरी स्कीमों जैसा स्वरूप दिया था। जिसमें मैदानी राज्यों के लिए केंद्र की हिस्सेदारी साठ फीसद और राज्यों की चालीस फीसद तय की गई थी, जबकि पहाड़ी राज्यों के लिए केंद्र की हिस्सेदारी नब्बे फीसद और राज्य की दस फीसद रहेगी।


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