नई दिल्ली: भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब चंद्रयान-4 की खूब चर्चा हो रही है। चंद्रयान-4 को लेकर कहां तक प्रगति हुई है, इस बारे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख एस सोमनाथ ने शनिवार को बड़ी जानकारी दी। मदुरै में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 अभी तक फाइनल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, 'कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुलशेखरपट्टनम लॉन्चपैड की आधारशिला रखी और यह काम 2 साल में पूरा हो जाएगा। कुलशेखरपट्टनम से 500 किलोग्राम तक के रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं।'
दरअसल, पीएम मोदी ने बीते 28 फरवरी को थूथुकुडी जिले के कुलशेखरपट्टनम में इसरो के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखी थी। इसका इस्तेमाल खास तौर से छोटे उपग्रह प्रक्षेपण (SSLV) मिशनों को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा, ताकि उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में रखा जा सके। यह देश के अंतरिक्ष शोध प्रयास को भौगोलिक लाभ मुहैया कराएगा। श्रीहरिकोटा का स्पेसपोर्ट पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलएमवी-3 और अन्य मिशनों समेत सभी रॉकेट लॉन्च मिशनों के लिए प्राथमिक केंद्र बना रहेगा। शार रेंज में 2 लॉन्च पैड हैं। दूसरा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र लगभग 2,233 एकड़ क्षेत्र में लगभग 950 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। यह देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक नए युग की शुरुआत करेगा।
अगर चंद्रयान-4 की बात करें तो यह पहले के मिशन की तरह नहीं होगा। इस बार चंद्रयान चांद पर जाने के बाद वहां से वापस धरती पर भी आएगा। एक ओर जहां चंद्रयान-3 को सिंगल स्टेज में लॉन्च किया गया था। दूसरी ओर, चंद्रयान-4 को 2 स्टेज में लॉन्च करने की तैयारी है। 2 अलग-अलग लॉन्च चंद्रयान-4 के व्हीकल को आगे बढ़ाएंगे। यह चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी को लेकर वापस लौटेगा। बता दें कि पहली बार लॉचिंग के वक्त चंद्रयान-4 का वजन 5200 किलोग्राम होगा। चांद से जब ये धरती की ओर लॉच होगा तब इसका वजन 1527 किलोग्राम रखा जाएगा, इससे यह आसानी से धरती के ऑर्बिट में दाखिल हो सकेगा।