दिल्ली। अब नामी हस्तियां किसी भी वस्तु या सेवा को पहले खुद परखे बिना उनका विज्ञापन नहीं कर सकेंगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया पर असर डालने वालों के लिए विज्ञापन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि उत्पाद और सेवा का विज्ञापन करने वाले को उसके उपयोग का अनुभव होना चाहिए। उपभोक्ता भी गलत और भ्रामक जानकारी देने वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर सकता है।
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पहली बार 10 लाख और दूसरी बार 50 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा और बार-बार ऐसा करने पर विज्ञापन करने पर रोक भी लग सकती है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। मंत्रालय के अनुसार, इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन करते समय श्रोताओं एवं दर्शकों को गुमराह न करें। विज्ञापन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम व दिशा निर्देशों के अनुरूप हों।
सचिव ने 'एंडोर्समेंट नो-हाउ!' शीर्षक से नए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया को देखते हुए सख्त दिशा-निर्देश समय की जरूरत हैं। विज्ञापन अब पारंपरिक मीडिया तक सीमित नहीं हैं। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच के साथ, मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया प्रभावित करने वालों के अलावा वर्चुअल तौर पर प्रभावित करने वालों में भी वृद्धि हुई है।
मंत्रालय ने नए दिशा-निर्देशों में कहा है कि किसी भी विज्ञापन में स्पष्टीकरण को प्रमुखता से और साफ-साफ शब्दों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए, ताकि लोग उन्हें देखने से न चूकें। नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक विज्ञापन सरल, स्पष्ट भाषा में किया जाना चाहिए और किसी भी उत्पाद के प्रचार के लिए 'विज्ञापन', 'प्रायोजित' या 'सशुल्क प्रचार' शब्द का उपयोग किया जा सकता है। हस्तियों को ऐसे किसी भी उत्पाद या सेवा और कार्य का विज्ञापन नहीं करना चाहिए, जिसमें मूल बातों को उनके द्वारा उचित तरीके से व्यक्त न किया गया हो या जिसे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल अथवा अनुभव नहीं किया हो।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार ने कहा, यह दिशा-निर्देश इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि 2022 में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बाजार 1,275 करोड़ का है जो कि केवल दो साल 2025 में 19-20 फीसदी की दर से बढ़कर 2,800 करोड़ का होने का अनुमान है। कुमार ने बताया कि मौजूदा समय में सोशल मीडिया प्रभाव का जिनके पास अनुभव और जिनके खासे अनुयायी हैं, उनकी संख्या लाखों में हैं। जून 2022 में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण-सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश के लिए और ऐसे विज्ञापनों के अनुमोदन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे।