मैरिटल रेप पर कोई सजा नहीं, 10 में से 3 महिलाएं पति की हिंसा से है पीड़ित
दिल्ली। मैरिटल रेप अपराध है या नहीं, इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसी बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी मैरिटल रेप को लेकर एक ट्वीट किया है. राहुल ने लिखा, 'सहमति हमारे समाज में कमतर आंकी गई अवधारणाओं में से एक है. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे सबसे ऊपर रखना चाहिए.' राहुल ने इस ट्वीट के साथ #maritalrape का इस्तेमाल किया. मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में शामिल किए जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. ये सुनवाई कई सारी संगठनों की ओर से दाखिल की गई याचिकाओं पर हो रही है. भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग चल रही है. पिछले साल अगस्त में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था, 'भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है.' हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार कर दिया.
मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. 2017 में भी मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब केंद्र सरकार ने कहा था, 'मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी.' ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है.
मैरिटल रेप को भले ही अपराध नहीं माना जाता, लेकिन अब भी कई सारी भारतीय महिलाएं इसका सामना करती हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, देश में अब भी 29 फीसदी से ज्यादा ऐसी महिलाएं हैं जो पति की शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती हैं. ग्रामीण और शहरी इलाकों में अंतर और भी ज्यादा है. गांवों में 32% और शहरों में 24% ऐसी महिलाएं हैं.
- किसी भी महिला की मर्जी के खिलाफ या सहमति के बगैर उसके शरीर में अपने शरीर का कोई अंग डालना रेप है. उसके निजी अंगों को पेनेट्रेशन के मकसद से नुकसान पहुंचाना रेप है. इसके अलावा ओरल सेक्स भी बलात्कार की श्रेणी में आता है.
- किसी महिला के साथ बने शारीरिक संबंध को बलात्कार कब माना जाएगा, इसका प्रावधान इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 375 में किया गया है. इस धारा में उन 6 परिस्थितियों के बारे में बताया गया है...
1. महिला की इच्छा के बगैर अगर संबंध बनाए गए हों.
2. महिला की सहमति के बिना संबंध बनाए गए हों.
3. अगर महिला को मौत या नुकसान पहुंचाने या किसी और का डर दिखाकर उससे सहमति लेकर संबंध बनाए गए हों.
4. अगर किसी महिला से शादी का झांसा देकर संबंध बनाए गए हों.
5. संबंध तब बनाए गए हों, जब किसी महिला की मानसिक स्थिति ठीक न हो या उसे कोई नशीला पदार्थ दिया गया हो या फिर महिला सहमति देने के नतीजों को समझने की स्थिति न हो.
6. 16 साल से कम उम्र की महिला से संबंध बनाए गए हों. फिर भले ही उसकी मर्जी और सहमति ही क्यों न हो.
इसी धारा में है एक अपवाद...!
- धारा 375 में ही एक अपवाद है जिस वजह से मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जाता. धारा 375 में प्रावधान है कि अगर पत्नी नाबालिग भी है तो भी पुरुष का उसके साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स रेप नहीं माना जाएगा. भले ही ये संबंध फिर जबरदस्ती या पत्नी की सहमति के बगैर ही क्यों न बने हों.
- धारा 376 में रेप के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 376 में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है, लेकिन इसके लिए पत्नी की उम्र 12 साल से कम होनी चाहिए. इसके तहत अगर पति 12 साल से छोटी पत्नी के साथ रेप करता है तो उस पर जुर्माना या 2 साल की कैद या फिर दोनों सजाएं दी जा सकतीं हैं.
क्या फिर भारतीय महिलाओं को शिकायत का अधिकार भी नहीं?
घर के अंदर महिलाओं को यौन शोषण से बचाने के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून (Domestic Violence Act) लाया गया था. ये कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है.
- इसके अलावा हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act) भी है जिसमें पति और पत्नी की कुछ जिम्मेदारियों तय है. इसमें प्रावधान है कि सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर तलाक लिया जा सकता है.
- 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला देते हुए कहा था कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना अपराध है और इसे रेप माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि इसके लिए नाबालिग पत्नी एक साल के अंदर शिकायत दर्ज करा सकती है.
कितने देशों में है मैरिटल रेप का कानून?
संयुक्त राष्ट्र की Progress of World Women 2019-20 की रिपोर्ट बताती है कि 185 देशों में सिर्फ 77 देश ऐसे हैं जहां मैरिटल रेप को लेकर कानून है. बाकी 108 में से 74 देश ऐसे हैं जहां महिलाओं को अपने पति के खिलाफ रेप की शिकायत करने का अधिकार है. वहीं, भारत समेत 34 देश ऐसे हैं जहां मैरिटल रेप को लेकर कोई कानून नहीं है.