नीतीश कुमार ने भाजपा को धर्मसंकट में डाला, सेना में यूपी के बाद बिहार की बड़ी हिस्सेदारी
पढ़े पूरी खबर
सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में नौजवानों का गुस्सा भड़क उठा है। युवाओं की गुस्से की आग सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है, लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा को सबसे ज्यादा परेशानी बिहार में हो रही है। पार्टी ने भाजपा शासित राज्यों में अग्निवीरों के लिए केंद्र की नौकरी के बाद राज्य सरकारों की सेवा में प्राथमिकता देने का ऑफर दिया है, लेकिन बिहार में छात्रों के प्रदर्शन के बाद भी भाजपा की गठबंधन साथी जेडीयू ने छात्रों के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं है।
ऐसे में जेडीयू ने भाजपा को धर्मसंकट में डाल दिया है। वहीं दूसरी तरफ उसके नेता केंद्र की इस योजना की आलोचना भी करते हुए नजर आ रहे है। देश में यूपी के बाद बिहार से ही सबसे ज्यादा (1.04 लाख) जवान आते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि अग्निपथ योजना का बिहार में सबसे तीखा और हिंसक विरोध हो रहा है।
बिहार में छात्रों के उग्र होते आंदोलन के बाद जेडीयू ने छात्रों और इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। नीतीश सरकार में जेडीयू के विद्युत मंत्री विजेंद्र यादव से जब सवाल पूछा गया कि छात्र अग्निपथ योजना को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आप केंद्र और राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार चला रहे है। इस पर मंत्री ने दो टूक जवाब दिया कि इसमें राज्य सरकार क्या कर सकती है? यह मामला केंद्र का है। केंद्र सरकार छात्रों के संगठन से बात कर उन्हें समझाए।
इस मामले में बिहार भाजपा के नेताओं ने अमर उजाला से कहा कि प्रदेश में सत्ता की साझेदार भाजपा है, मगर बागडोर जेडीयू के नीतीश कुमार के पास है। चूंकि केंद्र की बीजेपी सरकार यह स्कीम लेकर आई है तो जाहिर-सी बात है, नौजवानों में गुस्सा भी बीजेपी के खिलाफ है। इस बाबत न तो बिहार बीजेपी का कोई बड़ा नेता बयान दिया है और ना ही बिहार सरकार की ओर से युवाओं के लिए कोई घोषणाएं की गई है। जबकि भाजपा शासित राज्यों में अग्निवीरों के लिए राज्य में स्थाई नौकरियों में अवसर देने की बात कही है। लेकिन बिहार में भाजपा की गठबंधन साथी जेडीयू ने इस मसले पर खुद को अलग कर लिया है। जेडीयू के मंत्री लगातार इसका विरोध कर रहे है। ऐसे में छात्र भी उग्र हो रहे है। अगर नीतीश कुमार भाजपा शासित राज्यों की तरफ कोई नया ऑफर दे, तो यह मसला थोड़ा शांत हो जाएगा।
इसलिए बिहार में सबसे ज्यादा हिंसा
अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर बनने से पहले ही अभ्यर्थी गुस्से में हैं। बिहार में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। लगातार दूसरे दिन नौजवान सड़कों पर हैं। बक्सर से शुरू हुआ बवाल नवादा और छपरा तक पहुंच चुका है। जहानाबाद और सीवान में भारी हंगामा हुआ है। 15 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि तीनों सेनाओं में 13.40 लाख से ज्यादा जवान हैं। आर्मी में 11.21 लाख, एयरफोर्स में 1.47 लाख और नेवी में 84 हजार जवान और अफसर हैं। इनमें सबसे ज्यादा 2.18 लाख से ज्यादा जवान उत्तर प्रदेश से आते हैं। दूसरे नंबर पर बिहार है। यहां से 1.04 लाख जवान आते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि अग्निपथ योजना का बिहार में सबसे तीखा और हिंसक विरोध हो रहा है।
वहीं इसी वर्ष अप्रैल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बताया था कि देशभर में हर साल आर्मी की औसतन 90 से 100 भर्ती रैली होती हैं। 2020-21 में 97 रैली होनी थीं, लेकिन सिर्फ 47 हो पाईं। वहीं 2021-22 में 87 रैली प्लान हुईं और सिर्फ 4 हुईं। कोरोना की वजह से कॉमन एंट्रेंस एग्जाम नहीं हुआ, इसलिए भर्ती भी नहीं हुई। आंकड़ों से जाहिर है कि 90 से 100 भर्ती रैलियों के जरिए हर साल करीब 60 हजार जवानों की भर्ती होती है। इनमें से करीब 40 प्रतिशत रैलियां उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में होती हैं। हिमाचल को छोड़ दें तो ज्यादा आबादी वाले इन राज्यों में होने वाली हर रैली में 1 से 1.5 लाख नौजवान हिस्सा लेते है। इसी युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा अग्निपथ योजना का जबरदस्त विरोध कर रहा है।
केंद्र सरकार करे अग्निपथ योजना की फिर समीक्षा: जेडीयू
अमर उजाला से चर्चा में जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी कहते है कि बिहार के अलावा देश के कई राज्यों में अग्निपथ योजना विरोध हो रहा है। इस आंदोलन में जो हिंसा हो रही उसका हमारी पार्टी विरोध करती है। हम केंद्र सरकार से आग्रह करते है कि इस योजना पर एक बार फिर से विचार करें। यह स्कीम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए लाई गई है, लेकिन अब जब वे ही इसका विरोध कर रहे है तो सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए। मोदी सरकार पहले भी लोगों के मुद्दों पर संवेदनशील रही है। हमें उम्मीद है कि इस बार भी सरकार बेरोजगार युवकों की भावना का आदर करते हुए योजना की समीक्षा करेगी और युवाओं से बात करेगी।
बिहार की सरकार भी क्या भाजपा शासित राज्यों की तरह अग्निवीरों को प्रदेश में नौकरियों में प्राथमिकता देगी? इस सवाल के जवाब में त्यागी कहते है कि अग्निवीरों को प्राथमिकता तो तभी दी जाएगी न जब राज्यों में रोजगार सर्जन होंगे। बिहार के बंटवारे के बाद राज्य के संसाधन, ऊर्जा के स्त्रोत और बड़े कारखाने सभी झारखंड में चले गए हैं। इससे बिहार बेसहारा रह गया हैं। इसलिए जब तक तक केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देगी तब तक बिहार में अतिरिक्त रोजगार की संभावना बहुत ही कम है।
आरजेडी के लोग कर रहे है हिंसा: भाजपा
अमर उजाला से चर्चा में बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि आज बिहार में जो कुछ भी तोड़फोड और हिंसक घटनाएं हो रही है। इसके पीछे आरजेडी का हाथ है। जानबूझकर शहर के बाहर के लोगों को बुलाकर हिंसा को अंजाम दिया जा रहा है। इधर, राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने बिहार में मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बिहार के छात्रों को समझाने की कोशिश की है। मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से एलान किया गया है कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की भर्ती में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसा एलान अमित शाह ने किया है। देश के विभिन्न राज्यों की ओर से इस बात का एलान किया गया है कि उनके राज्यों होने वाली पुलिस भर्ती में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी। सांसद मोदी ने बिहार सरकार से अपील की कि अग्निवीरों को राज्य सरकार की पुलिस बहाली में प्राथमिकता दे।