नीति आयोग ने दो सरकारी बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी को निजीकरण करने के लिए सौंपी लिस्ट

नीति आयोग ने विनिवेश संबंघी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंको के नाम सौंप दिए हैं

Update: 2021-06-03 15:34 GMT

नीति आयोग ने विनिवेश संबंघी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंको के नाम सौंप दिए हैं जिनका मौजूदा वित्त वर्ष में निजीकरण किया जाना है. बजट 2021 – 2022 में हुई घोषणा के मुताबिक सरकारी थिंक टैंक ने निजीकरण के लिए दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का चयन किया है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि पीएसयू बैंको के नाम सचिवों के कोर ग्रुप को सौंप दिए गए हैं. कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का कोर ग्रुप से जैसे ही इस लिस्ट को मंजूरी मिलेगी वैसे ही फाइनल हुए नाम ऑल्टरनेटिव मेकेनिज्म को मंजूरी के लिएभेज दिए जाएंगे. इसके बाद आखिरकार पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट को फाइनल अप्रूवल के लिए दी जाएगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण की प्रक्रिया में मदद करने के लिए नियामकीय पक्ष में बदलाव शुरू किया जाएगा.
विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप में आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉर्पोरेट मामलों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं.
एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले 16 मार्च को आश्वासन दिया था कि जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उनके सभी कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी. हमने एक सार्वजनिक उद्यम नीति की घोषणा की है जहां हमने चार क्षेत्रों की पहचान की है जहां सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति होगी. इसमें वित्तीय क्षेत्र भी है. सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होने जा रहा है.। जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उनके कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी, चाहे उनका वेतन हो या पेंशन, सभी का ध्यान रखा जाएगा.
रिपोर्ट्स की मानें तो प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक के नाम की चर्चा है. इस प्रक्रिया को शुरू होने में 5-6 महीने का समय लग सकता है.


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