बंगाल हिंसा की रिपोर्ट लीक करने के आरोपों को NHRC ने किया खारिज, सीएम ममता बनर्जी ने की थी आयोग की आलोचना

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हिंसा से जुड़ी रिपोर्ट को लीक करने के आरोपों को खारिज कर दिया है.

Update: 2021-07-15 17:09 GMT

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हिंसा से जुड़ी रिपोर्ट को लीक करने के आरोपों को खारिज कर दिया है. एनएचआरसी ने कहा कि उसने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार इस मामले से जुड़े सभी पक्षों के वकीलों के साथ पहले ही उस रिपोर्ट की कॉपी को शेयर किया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रिपोर्ट को मीडिया में लीक करने का आरोप लगाते हुए एनएचआरसी की आलोचना की थी और कहा था कि आयोग ने "अदालत का अपमान" किया है.

इसके बाद एनएचआरसी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा पर एक कमिटी गठित की गई थी. इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट 13 जुलाई को कोर्ट में सौंप दी. बयान के मुताबिक, कोर्ट के ही निर्देश पर कमिटी ने कलकत्ता में अपने वकील को इसकी एक कॉपी दी थी, जिन्होंने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को इसकी कॉपी उपलब्ध कराई.
NHRC ने कहा, "मामला विचाराधीन होने के कारण आयोग की कमिटी ने कोर्ट द्वारा बताए गए लोगों के अलावा किसी के साथ भी रिपोर्ट को साझा नहीं किया. चूंकि रिपोर्ट पहले से ही सभी पक्षों के पास उपलब्ध है इसलिए एनएचआरसी के स्तर पर लीक का कोई सवाल नहीं है. रिपोर्ट की कथित लीक को लेकर आरोप आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं."
ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के विचार जाने बिना एनएचआरसी के निष्कर्ष पर पहुंचने को लेकर हैरानी जताई. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "बीजेपी अब हमारे राज्य की छवि खराब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है. एनएचआरसी को अदालत का सम्मान करना चाहिए था. मीडिया में रिपोर्ट के निष्कर्ष लीक करने के बजाय, उसे पहले इसे अदालत में दाखिल करना चाहिए था."
कमिटी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की
राज्य में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच कर रही एनएचआरसी की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल की स्थिति "कानून के शासन के बजाय शासक के कानून को दर्शाती" है और उसने "हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों" की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है. एनएचआरसी अध्यक्ष द्वारा गठित कमिटी ने यह भी कहा कि इन मामलों में मुकदमे राज्य से बाहर चलने चाहिए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं का विश्लेषण पीड़ितों की पीड़ा के प्रति राज्य सरकार की भयावह निष्ठुरता को दर्शाता है. कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में लोगों पर हमले किए गए जिसकी वजह से उन्हें अपने घर छोड़ने पड़े और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया गया. एनएचआरसी की कमिटी ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा, "सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा यह हिंसा मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों को सबक सिखाने के लिए की गई."
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