नई दिल्ली (आईएएनएस)| नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पीएम 1 और पीएम 2.5-1 सहित अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट को पकड़ने का दावा करने वाले उपकरण की दक्षता का परीक्षण करने के लिए केंद्र से निर्देश मांगने व अपेक्षित परिणाम आने पर इसे मेक इन इंडिया और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के एक भाग के रूप में घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम इस तरह के आवेदन पर विचार करने में असमर्थ हैं। ट्रिब्यूनल की भूमिका पर्यावरण के महत्वपूर्ण सवाल पर फैसला करना है, न कि वाणिज्यिक उपकरणों का परीक्षण करना।
याचिकाकर्ता मिर्जा मोहम्मद आरिफ के अनुसार वह वायु प्रदूषण नियंत्रण विषय के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण 'पोलरेड' का आविष्कार किया है।
आरिफ का दावा है कि 'पोलरेड' पीएम 1 और पीएम 2.5-1 जैसे अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर को पकड़ने वाला दुनिया का पहला उपकरण है। इसे भारत के अलावा 50 से अधिक देशों द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है।
याचिकाकर्ता ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्थापित पोलरेड उपकरणों की दक्षता की चार से आठ सप्ताह तक निगरानी और परीक्षण करने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी को निर्देश देने और एनजीटी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की थी।