नई दिल्ली: भारतीय रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधा और पूरी सुरक्षा देने की पूरी कोशिश करता है. रेलवे को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की होती है कि रेल हादसा होने की परिस्थिति में यात्रियों तक मदद कैसे पहुंचाई जाए. कैसी व्यवस्था की जाए कि हादसे में फंसे लोगों को तुरंत मदद मिल पाए. क्योंकि हादसे की वजह से रेल यातायात अवरुद्ध हो जाता है और मदद के लिए रिलीफ ट्रेन भेजना नमुमकिन सा होता है.
इस समस्या से निपटने के लिए रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर यानी डीएफसी परियोजना से वैकल्पिक रास्ते के तौर पर मदद भिजवाने का काम कर रहा है. असल में देश के सबसे व्यस्त रेल मार्ग दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से कोलकाता वाले हैं. इन मार्ग पर हर 100 km की दूरी पर इंटर एक्सचेज पॉइंट बनाए जा रहे हैं. इससे रेलवे मार्ग में दूसरी गाड़ी के रूट पर चलाना, मॉल ढुलाई में फायदा मिलेगा.
असल में एक ट्रैक पर अगर अवरोध है तो ये इंटरचेंज यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में कारगर होंगे. इससे ये फायदा होगा कि आपात स्थिति में एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन मात्र 15 से 20 मिनिट में घटनास्थल पर पहुंच पाएगी. वहीं, अगर कोई रेल मार्ग बंद है तो दूसरे रूट से इन यात्रियों को निकालने में मदद मिलेगी.
असल में रेलवे लुधियाना-दानकुनी (1875 किमी) और दादरी-जेएनपीटी (1506 किमी) के तहत कुल 3381 किमी मालभाड़े की ढुलाई के लिए समर्पित नए रेल मार्ग बना रही है. लेकिन डीएफसी के निर्माण से भारतीय रेल और रेल यात्रियों को तमाम फायदे मिलने जा रहे हैं. इसमें प्रमुख रूप से रेल सुरक्षा और ज्यादा मजबूत होगी.
ईस्ट डीएफसी में दादरी, मुगलसराय, भाऊपुर,कानपुर,अहरौरा रोड,करछना,खुर्जा, टुंडला समेत कुल मिलाकर 32 इंटरचेंज होंगे. जबकि वेस्ट डीएफसी में अटेली, फुलेरा, मानिकपुर, पालनपुर, समेत कुल 22 जंक्शन होंगे.