मुसीबत का सबब: हाईकोर्ट ने कहा- पुलिस को पालतू जानवरों की प्रकृति की जांच करनी होगी, जानें पूरा मामला
बच्ची को कुत्तों के एक झुंड ने मार डाला था।
नई दिल्ली: उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को तुगलक लेन क्षेत्र के धोबी घाट क्षेत्र में पालतू जानवरों की प्रकृति की जांच करने का निर्देश दिया। यहां पिछले महीने डेढ़ साल की एक बच्ची को कथित तौर पर कुत्तों के एक झुंड ने मार डाला था।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने पुलिस को विवरण देते हुए 19 मार्च से पहले एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। पीठ शिशु के पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें बच्चे की मौत पर 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा गया है। पीठ ने कहा कि पुलिस क्षेत्र में रखे गए पालतू जानवरों की प्रकृति के संबंध में जांच करे। यह भी कहा गया कि क्षेत्र में एक पिटबुल भी है, उसकी भी जांच करें। स्थिति रिपोर्ट मंगलवार तक दाखिल की जाए।
पीठ ने पुलिस से यह भी पता लगाने को कहा कि जहां घटना हुई, वहां आसपास के घरों में कोई पालतू कुत्ता था या नहीं। पीठ ने कहा कि वह सिर्फ पास के घर में रखे गए एक खूंखार कुत्ते की आशंका को खारिज करने के लिए जानकारी मांग रहे हैं, जो बच्चे पर हमला कर सकता था। इस मामले में पक्षकार बनने की मांग कर रहे एक एनजीओ का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील में से एक ने दावा किया कि इलाके में एक पिटबुल है। पीठ ने कहा कि अगर किसी बच्चे पर हमला हुआ तो सवाल यह है कि दिन के समय भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।
कोर्ट ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), शहर सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया था। इन लोगों से उठाए गए कदमों के संबंध में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। दावा है कि बच्ची घर के बाहर बैठी थी। इसी दौरान चार से पांच कुत्तों ने उस पर हमला किया और उसे कई मीटर तक घसीटा। इसके बाद नोचकर मार डाला था।
दिल्ली के उप राज्यपाल और मेयर से आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने की मांग की गई है। कांग्रेस नेता हरी किशन जिंदल ने बताया कि सड़कों और गलियों में आवारा घूम रहे कुत्तों के काटे जाने से जान का खतरा बना रहता है। इनके आतंक से लोग गली-मोहल्ले में निकलने से भी घबराने लगे हैं। ऐसे में आवारा कुत्तों के लिए बाड़ा बनाया जाना चाहिए, ताकि इनके खतरे से लोगों को बचाया जा सके। इस संबंध में उन्होंने उप राज्यपाल और मेयर को पत्र भी लिखा है।