नई दिल्ली: सूर्य का अध्ययन करने के लिए भेजा गया इसरो का मिशन आदित्य-एल1 अपनी चौथी ऑर्बिटल छलांग लगाने के लिए तैयार है। आदित्य एल1 अपनी चौथी छलांग में पृथ्वी की कक्षा के बाहर निकलने की अपनी यात्रा को जारी रखेगा। आदित्य एल1 चौथी ऑर्बिटल छलांग 15 सितंबर को भारतीय समयानुसार लगभग 02:00 बजे लगाएगा। यह कदम इसरो के 'सूर्यरथ' उसके अंतिम गंतव्य - लैग्रेंज पॉइंट 1 (एल1) के करीब ले जाएगा। इसरो की तरफ से छोड़ा गया अपनी तरह का पहला मिशन आदित्य-एल1 सूर्य के जरिए पड़ने वाले पृथ्वी के पर्यावरण पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा।
अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य-पृथ्वी के बीच मौजूद एल1 बिंदु के आसपास एक प्रभामंडल में मौजूद रह कर सूर्य का अध्ययन करेगा। एल1 एक ऐसा बिंदु है जहां ग्रहण या किसी तरह की रुकावट के बिना के सूर्य का निरंतर अध्ययन किया जा सकता है।
आदित्य एल1 की चौथी छलांग मिशन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल का कुशलतापूर्वक उपयोग करके, इसरो इंजीनियरों का लक्ष्य अंतरिक्ष यान को ऊपर उठाना है। इस छलांग की तैयारी 10 सितंबर को आयोजित तीसरे ऑरबिट-राइजिंग ऑपरेशन के सफल समापन के बाद से किया जा रही है।
आदित्य-एल1 मिशन सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन और निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किए गए सात पेलोड ले गया है। यह एल1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रहते हुए सूर्य का डेटा इसरो को भेजेगा। आदित्य एल1 रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव पर मूल्यवान डेटा भारतीय स्पेस एजेंसी को ट्रांसफर करेगा।
आदित्य-एल1 मिशन में विद्युत चुम्बकीय, कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन और निरीक्षण करने के लिए डिजाइन किए गए सात पेलोड हैं। ये उपकरण सौर कोरोना, इसके ताप तंत्र और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता को समझने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।