नए ग्रह का पता चला, IIT के वैज्ञानिक ने की खोज

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Update: 2024-07-26 01:54 GMT

यूपी UP News। आईआईटी कानपुर IIT Kanpur के खगोल विज्ञानियों की टीम ने एक महाकाय नए ग्रह की खोज की है। यह पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और एक तारे के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। बृहस्पति से करीब छह गुना बड़े इस ग्रह को ‘सुपर ज्युपिटर’ नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में काफी बड़ा है। इस उपलब्धि को विज्ञान पत्रिका नेचर ने प्रकाशित किया गया है। इसकी खोज करने वाली टीम में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. प्रशांत पाठक भी शामिल हैं।

Prof. Pathak प्रो. पाठक ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस, प्लैनिटेरी एंड एस्ट्रनामिकल साइंसेस एंड इंजीनियरिंग (स्पेस) के खगोलविदों के साथ मेरी टीम ने लंबे अध्ययन के बाद यह ग्रह खोजा है। टीम जेम्स वेब टेलीस्कोप से अंतरिक्ष में उपस्थित आकृतियों का अध्ययन कर रही है। टीम को पृथ्वी के निकट पहला प्रत्यक्ष रूप से वाह्य ग्रह ‘सुपर ज्युपिटर (एप्सिलॉन इंड एबी)’ मिला है। यह ग्रह ‘के-5 वी’ प्रकार के तारे (जिसे एचडी 209100 के नाम से जाना जाता है) की परिक्रमा कर रहा है। टीम ने टेलीस्कोप से इस वाह्य ग्रह का चित्र भी लिया है।

प्रो. पाठक ने बताया कि यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा 200 वर्ष में पूरा करता है। तारे की अत्यधिक चमक आमतौर पर एक्सोप्लैनेट की मंद रोशनी का पता लगाने में बाधा डालती है। टीम ने स्टारलाइट को ब्लॉक करने के लिए कोरोनग्राफ से लैस जेडब्ल्यूएसटी के एमआईआरआई कैमरे का इस्तेमाल किया। जिससे एक कृत्रिम ग्रहण बना। जिससे इस नए ग्रह की खोज में मदद मिली। इस टीम में भारत के अलावा जर्मनी, यूएसए, यूके, चीन के भी वैज्ञानिक व खगोलविद् शामिल हैं। प्रो. पाठक के मुताबिक यह ग्रह काफी ठंडा है। इसका तापमान माइनस एक डिग्री सेल्सियस है। इसकी कक्षा भी बहुत बड़ी है और यह अपने तारे की परिक्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 28 गुना अधिक यात्रा करके पूरी करता है। इस खोज से ग्रहों के निर्माण, वायुमंडलीय संरचना और सौर मंडल से परे जीवन की संभावना के बारे में समझ मिली है। इस खोज के बाद मालूम पड़ा कि हमारे सौर मंडल से बाहर के ग्रहों में उच्च धातु और कार्बन-ऑक्सीजन अनुपात बिलकुल अलग है।

आईआईटी कानपुर के निदेशक, प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि नए भारी-भरकम ग्रह की खोज एक्सोप्लेनेट शोध में मील का पत्थर साबित होगी। इस खोज से अंतरिक्ष के अन्य गूढ़ रहस्य खोजने में मदद मिलेगी। ग्रह प्रणालियों से परे रहस्यों को उजागर करने में एक नया और बड़ा कदम है।


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