4 लड़कियों की नई पहल, लॉकडाउन में बन गई गुरु, टीचर बन ऐसे दिखाया बड़ा इरादा

Update: 2021-07-16 15:17 GMT

खूंटी के लोधमा में 4 लड़कियों ने लॉकडाउन और लगातार स्कूल बंद होने से चौपट होती बच्चों की पढ़ाई के लिए नई पहल की है. यहां 7वीं में पढ़ने वाली दीपिका ने छोटे बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए उन्हें फ्री पढ़ाना शुरू किया. जल्द ही दीपिका के प्रयास से प्रेरणा लेकर सीनियर क्लास की तीन लड़कियों ने भी दीपिका समेत 7वीं और उसके ऊपर के बच्चों के लिए मुफ्त क्लास का आयोजन शुरू कर दिया. पढ़ें- छोटी-छोटी बच्च‍ियों के बड़े-बड़े इरादों के बारे में...

यह कहानी है झारखंड के खूंटी के लोधमा में स्थ‍ित चांद पाड़ा गांव की. यहां का सरकारी स्कूल लॉकडाउन की वजह से 2020 मार्च के बाद से बंद पड़ा है. हालांकि उसके ठीक बगल में इस छोटी सी लाइब्रेरी को ग्राम पंचायत ने दीपिका, लिली और उनके दो दोस्तों के हवाले उनकी पहल और सोच से खुश होकर कर दी है. अब सरकारी स्कूल की तरह यहां पढ़ाई हो रही है और बच्चे कभी rhyming वर्ड तो कभी कविता का पाठ करते हैं तो कभी प्रार्थना करते हुए खुश दिख रहे हैं.
इसी सरकारी स्कूल की 7वीं की छात्रा दीपिका इनकी खुशी की वजह बनीं. बता दें कि जब बच्चों का स्कूल जाना बंद हुआ तो वो खुद भी अपने पाठ भूलने लगी थी तो उन्हें लगा कि जब वे भूल रही हैं तो स्कूल बंद होने के बाद सिर्फ खेलने में मन लगा रहे गांव के बच्चों का तो बुरा हाल होगा. यह सोचकर उन्होंने लाइब्रेरी वाली जगह की मांग की और बच्चों को फ्री पढ़ाने के प्रस्ताव के साथ ग्राम पंचायत से मिलीं. दीपिका की सोच से प्रभावित पंचायत ने तुरंत हामी भर दी. उसके बाद पहले 25 बच्चे जुड़े.
बाद में दीपिका की तीन साथी अभियान से जुड़ीं और सीनियर बच्चों की पढ़ाई भी होने लगी. अब अभियान से 100 बच्चे जुड़ गए जो यहां मन लगाकर पढ़ाई करते दिख रहे हैं. बता दें कि दीपिका इन बच्चों को पढ़ाने के बाद खुद भी पढ़ती हैं और इन्हें मुफ्त पढ़ाई करवाती हैं. उनके अभ‍ियान के साथ लिली और उनकी साथी भी जुड़ गई हैं. लिली खुद स्नातक में पढ़ाई करती हैं. उनका कहना है कि दीपिका के प्रयास से वे प्रभावित हैं इसलिए शिक्षा के स्तर को बुलंदियों तक ले जाने की सोच के साथ वे और उनकी साथी भी निशुल्क क्लास के आयोजन अभियान में कूद पड़ीं.
स्टूडेंट मुस्कान टोप्पो, सतीश लकड़ा और शीतल कुजूर ने बताया कि यह स्कूल सुबह 7 बजे से 11 बजे तक चलता है. हम सबको पढ़ाई और पढ़ाने का तरीका दोनों समझ आ रहा है. अब कोई फर्राटे से वर्ड की परिभाषा बताने में नहीं हिचकता तो कोई poem सुनाने में गर्व महसूस कर रहा है.
गांव की पार्षद शिला लकड़ा कहती हैं कि लड़कियों के कमान संभालने से पूरे गांव को फायदा हुआ है. बच्चे अनुशासन का पालन करते दिखते हैं और पढ़ाई भी करते हैं. अब पंचायत को भी लगता है कि इस जगह को देने का उनका फैसला सही है. उन्होंने कहा कि स्कूल बंद होने के बाद सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले ज़्यादातर बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास करने के लिए न तो स्मार्ट फ़ोन था और न ही यहां नेटवर्क है. ऐसे में लड़कियों के प्रयास और मेहनत ने अपना रंग दिखाया है.
अभ‍िभावक सीमा बाखला के बच्चे यहां पढ़ते हैं. वो भी इस प्रयास से काफी खुश हैं कि जो बच्चे लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के बाद पढ़ना तो दूर, समय से बिस्तर से भी नहीं उठते थे वे अब उत्साह के साथ 7 बजे से पहले तैयार होकर अपने दीदियों से पढ़ने निकल जाते हैं. यही नहीं घर में भी अभ्यास करते रहते हैं. ज़ाहिर है दीपिका ने खुद 7वीं में पढ़ते हुए भी अपनी सोच से गांव में शिक्षा को लेकर एक नई इबादत लिख दी है. उसकी सोच ये दर्शाती है कि झारखंड जैसे ट्राइबल प्रदेश में भी शिक्षा में बेहतरी और हालात में बदलाव लाने के तरफ कदम बढ़ाने की शुरुआत हो चुकी है.


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