अविनाश कुमार आतिश
नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिग्गज एथलीट पीटी ऊषा और अंजू बॉबी जार्ज लम्बे समय तक भारत में महिला एथलेटिक्स की ध्वजवाहक रही हैं और उन्होंने कई लड़कियों को एथलेटिक्स में आने के लिए प्रेरित किया है।
पीटी ऊषा ने 1980 के दशक में एशिया ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में अपना दबदबा बनाया था। उन्होंने कुल 23 पदक जीते थे जिसमें से 14 स्वर्ण थे। एथलीट के रूप में एक सफल करियर के बाद वह 2022 में 58 साल की उम्र में भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष चुनी गयीं। वह आईओए के 95 वर्षों के इतिहास में आईओए की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और आईओए अध्यक्ष नियुक्त होने वाली पहली ओलम्पियन बनीं।
दूसरी तरफ भारत की विश्व चैंपियनशिप की पहली पदक विजेता अंजू बॉबी जार्ज ने देश के ट्रैक एंड फील्ड इतिहास में अपना विशेष स्थान बनाया है। उन्हें भारत में युवा लड़कियों को प्रेरित करने और खेल को अपनाने के लिए वल्र्ड एथलेटिक्स द्वारा वुमैन ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया था।
ज्यादा पुरानी बात नहीं है , भारतीय प्रशंसक इन दो एथलीटों का नाम जानते थे जब उनसे भारत की सफल महिला एथलीटों के बारे में पूछा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदली हैं और कई महिला एथलीट अपनी पहचान बना रही हैं।
ऊषा और अंजू के बाद हिमा दास ने भारत को सफलता दिलाई । 2018 आईएएएफ विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप, जो फिनलैंड में हुई थी, में हिमा ने अपना नाम खेल इतिहास में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट के रूप में दर्ज करा लिया था। उन्होंने उसके बाद भी अपनी सफलता जारी रखी।
एक अन्य महिला एथलीट दुती चंद, दो बार की ओलम्पियन और 100 मीटर की राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक, ने 2013 में आने के बाद से अपनी पहचान बनायी है। दुती ने 2019 में नेपल्स में विश्व युनिवरसियाड में 100 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय बनीं।
जैसा आम तौर पर कहा जाता है कि सफलता को बनाये रखने के लिए बेंच पर पर्याप्त ताकत होनी चाहिए और भारत इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। प्रियंका गोस्वामी, भावना जाट, अन्नू रानी और ज्योति येराजी महिला एथलेटिक्स में वर्तमान और भविष्य हैं।
जूनियर्स में शैली सिंह (लम्बी कूद) और प्रिया मोहन (स्प्रिंट) ने हाल में अच्छा प्रदर्शन किया है।