दिल्ली: बाजार में खरीदी गई प्लास्टिक की पानी की बोतल का आप क्या करते हैं? यकीनन आप बिना सोचे कूड़ेदान में फेंक देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, उन प्लास्टिक की बोतलों और दूसरी सामग्री से भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है। क्या होगा, अगर आपको ऐसी दो बोतलों के बदले 15 मिनट का इलेक्ट्रिक वाहन चाजिर्ंग समय मिल जाए? या मुफ्त वाई-फाई के लिए एक निश्चित समय प्राप्त हो जाए? या फिर प्लास्टिक की बोतलों की बदले पेटीएम पर कैशबैक मिल जाए? दिल्ली के सबसे व्यस्त बाजारों में से एक ग्रीन पार्क में रिवर्स वेंडिंग मशीन नामक एक लेटेस्ट सुविधा के तहत आपको प्लास्टिक की बोतलों के बदले इंसेंटिव मिलता है। प्लास्टिक की बोतलें और पॉलिथीन बैग सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरे का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) और दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) की संयुक्त पहल स्टैंड अप इंडिया और स्वच्छ दिल्ली, स्वावलंबी दिल्ली/स्वच्छ दिल्ली, स्वावलंबी काशी के हिस्से के रूप में दिल्ली और वाराणसी में कुल 1,000 प्लास्टिक आरवीएम स्थापित करना है।
पहले चरण में दिल्ली में 20 और वाराणसी में 40 आरवीएम स्थापित किए जाएंगे। देश भर के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद के लिए सीआईडीबीआई और डीआईसीसीआई के बीच स्वावलंबन संकल्प के लिए एक समझौता है। संयुक्त पहल में, डीआईसीसीआई न केवल रोजगार के अवसर पैदा करेगा बल्कि प्लास्टिक की बोतलों से होने वाली समस्याओं के बारे में भी जागरूकता बढ़ाएगा। ग्रीन पार्क मार्केट में अंकेश राठौर ने बताया कि मशीन कैसे काम करती है और कहा, मैं लोगों तक खुद जाऊंगा और उन्हें उद्यम के बारे में बताऊंगा। साथ ही इंसेंटिव के बारे में भी सूचित करूंगा, जो उन्हें मशीन में प्लास्टिक की बोतलों को डिस्पोज करने पर मिलेगा। मशीन 25 किलोग्राम तक प्लास्टिक बोतलों का कचरा इकट्ठा कर सकता है।
ऐसी ही एक मशीन हवाई अड्डे के पास सेना छावनी के अंदर सीएसडी कैंटीन स्टोर के पास पहले से ही लगाई गई है। इसी तरह ये मशीनें डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, मूलचंद अस्पताल, डियर पार्क सहित अन्य जगहों पर भी लगाई जाएंगी। मशीन में बोतल डालते ही तुरंत वह डिस्पोज हो जाएगी। डीआईसीसीआई के संस्थापक अध्यक्ष मिलिंद कांबले ने आईएएनएस को बताया, राठौर प्लास्टिक कचरे के रीसाइक्लिंग करने वाली इस मशीन के बारे में लोगों को जागरूक करेगा, जिससे लोगों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्लास्टिक रिवर्स वेंडिंग मशीन (आरवीएम) थीटा एनरलिटिक्स द्वारा भारत में विकसित की गई हैं। अध्यक्ष और सह-संस्थापक करण धौल ने आरवीएम आइडियाज को विस्तार से समझाया और कहा, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या बहुत बड़ी है। मेरा पहला विचार था, इंसेंटिव क्या हो सकता है, जिससे लोगों को ऐसी मशीन का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सके? फिर फ्री वाई-फाई, फ्री ईवी चाजिर्ंग जैसे इंसेंटिव के आइडियाज आने लगे, क्योंकि हमारे पास इसका समर्थन करने के लिए सीएसआर फंडिंग है।
सबसे अच्छी बात यह है कि यह प्रयास केवल आरवीएम स्थापित करने तक ही सीमित नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय पहले ही प्लास्टिक उत्पादकों, विपणक आदि के लिए विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी को अधिसूचित कर चुका है। जिसके तहत सकरुलर इकोनॉमी का विकल्प चुनना अनिवार्य होगा। वर्तमान में, मशीन के लिए बिजली कनेक्शन आदि जैसे मुद्दों को सुलझाया जा रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या पूरी कवायद किसी भी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है, थीटा एनरलिटिक्स के सह-संस्थापक गौरव गुप्ता ने कहा, स्थानीय नगरपालिका पार्षद हमें सही जगह की पहचान करने और इन मुद्दों को हल करने में मदद कर रहे हैं। धौल ने कहा कि दिल्ली में 20 और वाराणसी में 40 मशीनों का पहला सेट अगले 45 दिनों में पूरा हो जाएगा।