यूरिनल (Urinal) में एक समस्या का सामना लगभग हर पुरुष को करना पड़ता है, वो है स्प्लैश-बैक (Splash back), यानी छींटे आना. पुरुषों के यूरिनल इस आकार के बने होते हैं कि छींटे लौटकर आ सकते हैं, इसलिए उन्हें बड़े ध्यान से ये काम करना होता है कि कहीं कपड़ों पर छींटे न आ जाएं. लेकिन अब इस समस्या का हल निकाल लिया गया है. वॉटरलू यूनीवर्सिटी (University of Waterloo) की एक टीम ने एक ऐसे 'स्प्लैश-फ्री यूरिनल' का डिज़ाइन तैयार किया है, जिसमें यूरिन के छींटे नहीं आते, फिर चाहे निशाना कहीं भी लगाया जा रहा हो. इस यूरिनल को खास तरीके से डिज़ाइन किया गया है. इसका मुंह काफी छोटा है और अंदर का हिस्सा घुमावदार, जिससे बूंदें बाहर नहीं जातीं. हाल ही में American Physical Society's Division of Fluid Dynamics की सालाना मीटिंग में इस डिजाइन को पेश किया गया.
टीम की कहना है कि यूरिनल के नए डिज़ाइन से बाथरूम साफ रहेंगे. इसकी साफ-सफाई में समय, मेहनत और कैमिकल भी कम लगेगा. इस यूरिनल को डिजाइन करने के लिए, टीम ने उस कोण का पता लगाया जहां सतह पर यूरिन की धार पड़ने पर सबसे कम छींटे आते हैं. उन्होंने इस समस्या को एक कंप्यूटर मॉडल के साथ हल किया और स्टडी किया कि कुत्ते यूरिन कैसे करते हैं. टीम का कहना है कि कुत्ते अपना पिछला पैर उठा लेते हैं. ऐसा करके वे एक ऐसा एंगल बना लेते हैं जिससे वे उस जगह के सबसे करीब पहुंच जाते हैं जहां उन्हें यूरिन करना होता है. इससे छींटे नहीं आते.
शोधकर्ताओं ने यह भी मापा कि यूरिनल से कितने छींटे आते हैं. इसके लिए उन्होंने कई यूरिनल पर टेस्ट किए. उन्होंने रंगीन लिक्विड को अलग-अलग गति और ऊंचाई से यूरिनल पर डाला, ताकि ये पता चल सके कि किस तरीके से सबसे ज्यादा छींटे आते हैं. इनमें पारंपरिक यूरिनल, मार्सेल ड्यूचैम्प के स्कल्पचर 'फोंटेन'(Fontaine) से प्रेरित यूरिनल और उनके खुद के डिज़ाइन किए गए दो यूरिनल शामिल थे.
हर एक्सपेरिमेंट के बाद उन्होंने फैले हुए छींटों को एक पेपर टॉवल से साफ किया और उसका वजन किया, ताकि ये पता लग सके कि कितना लिक्विड फैला. उन्होंने इस डेटा को डॉग मॉडल के साथ जोड़ा और उस एंगल का पता लगाया जिसपर सबसे कम छींटे गिरी थीं. ये एंगल 30 डिग्री था. इसी आधार पर उन्होंने यूरिनल का नया डिज़ाइन तैयार किया, जिसमें इस बात का ध्यान रखा गया कि धारा किसी भी दिशा या गति के साथ सतह को छुए, वह इस एंगल के पास ही जाए.