7 साल की बच्ची का पड़ोसी ने किया अपहरण, वजह जानकर चौंक जाएंगे

छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से उतरते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया।

Update: 2024-03-10 06:47 GMT
गाजियाबाद: गाजियाबाद के भोवापुर में रहने वाली 7 साल की मासूम बच्ची का पड़ोसी ने अपहरण कर लिया। वह बच्ची को महोबा ले जाने के लिए ट्रेन में बैठकर झांसी पहुंच गया। इस बीच उसे घटना के बारे में पुलिस को पता चलने की जानकारी हुई तो वापस गाजियाबाद जंक्शन पर लौट आया। शुक्रवार रात साढ़े 9 बजे छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से उतरते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि बच्ची का भाई उधार लिए 5 हजार रुपये नहीं लौटा रहा था, इसीलिए उसने बच्ची का अपहरण किया था।
डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटील ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान महोबा के बिलवई गांव का रहने वाले मदन के रूप में हुई है। वह परिवार के साथ भोवापुर में किराये के कमरे में रहता है और पुताई का काम करता है। इसी मकान में कृष्णा गुप्ता भी किराये पर रहते हैं। वह एक कंपनी में मजदूरी करते हैं। कृष्णा की पत्नी और बड़ा बेटा अंकित भी मजदूरी करते हैं।
7 मार्च की दोपहर करीब 2 बजे तीनों काम पर गए थे। कृष्णा की सेंकेंड क्लास में पढ़ने 7 वर्षीय बच्ची अपने छोटे भाई के साथ घर के बाहर खेल रही थी। मदन बच्ची को घुमाने के बहाने अपने साथ ले गया और सीधा स्टेशन पहुंचकर महोबा के लिए रवाना हो गया। कृष्णा और उनके परिजन शाम को लौटे तो बच्ची घर पर नहीं मिली। काफी तलाश की और आसपास के लोगों से पूछा तो एक दुकानदार ने बताया कि मदन बच्ची को ले गया है।
घटना के बाद से मदन भी लापता था, जिस कारण उसे दुकानदार ने फोन किया। मदन ने फोन पर कहा कि 5 हजार रुपये नहीं देंगे, तो बच्ची नहीं मिलेगी। काफी प्रयास के बाद भी आरोपी नहीं माना तो तड़के पुलिस को सूचना दी गई। पांच हजार रुपये की फिरौती के लिए बच्ची के अपहरण की बात सुन पुलिस अधिकारी भी हैरान हो गए। हालांकि, परिजनों ने थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई तो पता चला कि आरोपी उधार दिए पांच हजार रुपये वापस मांग रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपी से पूछताछ की जा रही है।
डीसीपी ने बताया कि मदन ने बच्ची के भाई अंकित को एक माह पहले 5000 रुपये दिए थे। अंकित अब रुपये नहीं लौटा रहा था। अंकित और कृष्णा ने पैसे लौटाने की बात कही थी, लेकिन रुपयों को लेकर आरोपी इतना ज्यादा आक्रोशित हो गया कि बच्ची को अगवा करने की साजिश रच डाली। इस दौरान उसने अपने परिजनों को भी कुछ नहीं बताया। मदन के परिजन भोवापुर में ही थे। सूचना मिलते ही पुलिस ने जीआरपी, आरपीएफ और दूसरे जिलों की पुलिस को अपहरण के बारे में बताया और आरोपी से संपर्क किया तो उसने फोन स्विच ऑफ कर लिया। इस पर अधिकारियों की चिंता बढ़ गई।
आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह बच्ची को महोबा स्थित गांव में ले जा रहा था। रुपये मिलने तक बच्ची को अगवा कर गांव में रखने की योजना बनाई थी। पुलिस का फोन आते ही वह झांसी में उतर गया और पुलिस को गुमराह करने के लिए वापस गाजियाबाद के लिए ट्रेन में बैठ गया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह गाजियाबाद से दिल्ली पार कर हरियाणा की ओर जाने की फिराक में था।
आरोपी ने बच्ची को अपने घर ले जाते समय ट्रेन का टिकट भी नहीं खरीदा था। पुलिस का फोन जाने के बाद जब वह झांसी में उतरा तो स्टेशन से बाहर नहीं गया। आरोपी का कहना था कि झांसी में भी पुलिस का पहरा सख्त था, इसलिए वह वापसी में भी बिना टिकट लिए ही ट्रेन में सवार हो गया था।
बच्ची पड़ोसी होने के कारण मदन के साथ गई थी, लेकिन घर से ज्यादा दूर जाने पर उसने विरोध किया। मदन ने धमकी देकर उसे शांत करा दिया था। 30 घंटे से ज्यादा समय तक बच्ची आरोपी के चंगुल में रही। इस दौरान आरोपी ने उसे एक भी बार खाना नहीं खिलाया। पुलिसकर्मियों को बच्ची ने बताया कि भूख लगने पर उसने मदन से खाने की मांग की तो उसने दो-तीन बिस्किट के पैकेट खरीदकर दे दिए। अगवा होने से लेकर बरामदगी तक बच्ची को सिर्फ बिस्किट ही मिले।
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