पुल ढहने के लिए लापरवाही-लालच जिम्मेदार, तकनीक नहीं : आईआईटी-डी एक्सपर्ट्स
नई दिल्ली (आईएएनएस)| आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों का मानना है कि पुल गिरने जैसी दुर्घटनाओं का मुख्य कारण तकनीकी खराबी नहीं बल्कि मानवीय लापरवाही और लालच है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुल और फ्लाईओवर बनाने के लिए देश में विश्वसनीय और आधुनिक तकनीक उपलब्ध है। हालांकि, ऐसी दुर्घटनाएं तब होती हैं जब तकनीकी पहलुओं की अनदेखी की जाती है।
30 अक्टूबर को, गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर एक झूला पुल गिरने से लगभग 135 लोगों की मौत हो गई, जबकि 170 से अधिक घायल हो गए। इससे पहले पश्चिम बंगाल में एक निर्माण अधीन पुल के गिरने की घटना सामने आई थी। उस समय भी निर्माण कार्य में लापरवाही के गंभीर आरोप लगे थे।
आईआईटी दिल्ली के उप निदेशक टी.आर. श्रीकृष्णन ने कहा कि प्रौद्योगिकी की विफलता या प्रौद्योगिकी की कमी मोरबी पुल के ढहने या इस तरह की अन्य दुर्घटनाओं का कारण बिल्कुल भी नहीं है।
श्रीकृष्णन के अनुसार, भारत के पास निर्माण के लिए सबसे अच्छी तकनीक उपलब्ध है। अच्छे निर्माण के लिए केवल यह आवश्यक है कि मौजूदा तकनीक को ठीक से लागू किया जाए। उन्होंने कहा, मोरबी जैसी दुर्घटनाएं मानवीय लालच और लापरवाही का परिणाम हैं। इसके लिए तकनीक की कमी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने कहा कि यदि सभी नियम-कायदों का पालन करते हुए निर्माण या नवीनीकरण का कार्य किया जाता तो ऐसी दुर्घटनाएं नहीं होतीं।
जानकारी के मुताबिक, मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए 'ओरेवा ग्रुप' नाम की एक निजी कंपनी को पुल की मरम्मत और रखरखाव का जिम्मा सौंपा था। कंपनी पर रखरखाव में लापरवाही का आरोप है और अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
जांच से पता चला कि मोरबी पुल के नवीनीकरण के लिए आवंटित 2 करोड़ रुपये में से कंपनी ने केवल 12 लाख रुपये खर्च किए थे।