NEET PG 2022: परीक्षा टालने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार

Update: 2022-05-13 07:32 GMT

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने 21 मई को होने वाली NEET-PG 2022 को स्थगित करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस समय पर परीक्षा का स्थगन केवल अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा. इससे पेशेंट केयर भी प्रभावित होगी और तैयारी करने वाले 2 लाख से अधिक छात्रों के लिए गलत होगा.

कोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा, एडमिशन में किसी भी तरह की देरी से मरीजों की देखभाल और अस्पतालों में काम प्रभावित होता है. परीक्षा स्थगित करने के अनुरोध पर विचार किया गया है. विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया गया है कि हम इस समय परीक्षा स्थगित करके पेशेंट केयर को प्रभावित नहीं होने दे सकते.
कोर्ट ने आगे कहा, "राज्य संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. बड़ी संख्या में ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने 2022 की परीक्षा के लिए रजिस्‍ट्रेशन कराया है. 2 लाख 6000 से अधिक डॉक्टरों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया है जो पिछले 2 वर्षों में परीक्षा में बैठने वाले डॉक्टरों की संख्या से बहुत अधिक है. एग्‍जाम में देरी अन्य क्षेत्रों जैसे सुपर स्पेशियलिटी एडमिशन को भी प्रभावित करेगी."
अदालत ने यह भी कहा कि इस वर्ष हमारे पास पिछले 2 वर्षों में हुई परीक्षा में देरी का कारण यानी कोरोनावायरस की चिंता नहीं है. अब परीक्षा में देरी का व्यापक प्रभाव पड़ेगा. इससे सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा आदि के लिए इंटर्नशिप की अंतिम तिथि भी प्रभावित होगी.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DYC)- परीक्षा 21 मई को होनी है, अब हम कैसे आदेश पारित कर सकते हैं? केवल अपने क्‍लाइंट्स को कठिनाई से बचने के लिए आप उन सभी छात्रों के लिए कठिनाई पैदा करना चाहते हैं जिन्होंने परीक्षा की तैयारी की है? आपको परीक्षा के लिए रजिस्‍ट्रेशन करना चाहिए था.
याचिकाकर्ताओं के वकील (ASG)- हमारा तर्क है कि काउंसलिंग और परीक्षा के कार्यक्रम में बदलाव किया गया था.
DYC- NEET PG के लिए कितने डॉक्टर उपस्थित होते हैं?
ASG- इस साल 2 लाख 6000 डॉक्टरों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है.
DYC- इतने सारे डॉक्टरों ने परीक्षा के लिए रजिस्‍ट्रेशन कराया है. यानी वे सभी डॉक्टर हैं जो अस्पतालों में काम कर रहे हैं.
ASG- इनमें से बड़ी संख्या में डॉक्टर इस याचिका का समर्थन कर रहे हैं. एमसीसी, स्वास्थ्य मंत्रालय और पीएमओ को ज्ञापन भेजा जा चुका है.
DYC- यदि कोई वैध चिंता है तो जांच अधिकारी इस मुद्दे पर विचार करेंगे. क्या हम न्यायालय के रूप में आदेश पारित कर सकते हैं?
ASG राजेश खन्‍ना- परीक्षाएं पिछले 3 साल से प्रभावित हैं. ये वे पीजी डॉक्टर हैं जो अस्पतालों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये सभी मेधावी छात्र हैं जिन्होंने पिछले साल परीक्षा पास की है और काउंसलिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वे इस परीक्षा में बैठने का मौका खो देंगे. काउंसलिंग के राउंड अभी खत्म नहीं हुए हैं.
SC- परीक्षा के लिए आपके रजिस्‍ट्रेशन पर कोई रोक नहीं थी. आपको कम से कम परीक्षा के लिए पंजीकृत होना चाहिए था.
ASG राजेश खन्‍ना- हजारों की संख्या में डॉक्टर प्रभावित हैं. ये वो छात्र हैं जिनकी काउंसलिंग रुकी हुई थी. वे 2021 में लास्‍ट राउंड में सीटें पाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन नहीं पा सके. सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने फरवरी के काउंसलिंग के राउंड को रद्द कर दिया, जिसने इन छात्रों को बाहर कर दिया. ये वो डॉक्टर हैं जो कोविड के जरिए काम कर रहे थे. कुल 50,000 लोग हैं. ऐसे 16 डॉक्टरों ने याचिका दायर की है.
एडवोकेट पी विल्सन - छात्रों के दो वर्ग हैं. 05 मई को डीजीएचएस द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई थी कि 2022 में एडमिशन के लिए रजिस्‍ट्रेशन का समय 09 मई तक बढ़ा दिया गया है. याचिका दायर करने का एक कारण 2021 की काउंसलिंग और 2022 की परीक्षा के बीच संभावित टकराव है. एक चीज जो भूल गई है वह है इसमें शामिल बुनियादी ढांचा. उन सभी को एक ही वर्ष में पढ़ाई करनी होगी भले ही उन्हें 2021 या 2022 बैच के रूप में टैग किया गया हो. यह पूरी तरह से अराजकता होगी.
इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा की पेशेंट केयर को प्रभावित नहीं किया जा सकता. परीक्षा टालना अराजकता और अनिश्चितता पैदा करेगा. इसके अलावा परीक्षा की तैयारी में जुटे 2 लाख से अधिक छात्रों के लिए इससे अनिश्चितता और पूर्वाग्रह बढ़ेगा.
इसे टालने से अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी भी होगी. साथ ही ये सरकार की पॉलिसी से जुड़ा मामला है. अदालत परीक्षा स्‍थगित करने का आदेश नहीं दे सकती.
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