NDPS एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सर्वोच्च अदालत से याचिका में की गई ये मांग
नई दिल्ली: नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंस यानी NDPS एक्ट को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती दी गई है. याचिका में ये भी कहा गया है कि ड्रग्स ट्रैफिकर्स, पेडलर्स और कंज्यूमर में कानूनी तौर पर फर्क होना चाहिए. इस याचिका में कंज्यूमर को सजा देने का प्रावधान खत्म करने की मांग की गई है.
ये याचिका वकील जयकृष्ण सिंह ने दायर की है और उन्होंने एनडीपीएस एक्ट की धारा 27ए, 35, 37 और 54 को चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि कानूनी तौर पर ड्रग ट्रैफिकर्स, पेडलर्स और कंज्यूमर में फर्क होना चाहिए. उनका कहना है कि ट्रैफिकर्स और पेडलर्स को सजा जरूर मिले, लेकिन कंज्यूमर के प्रति सहानुभूति रखते हुए उसे अपराध की धाराओं से हटाना चाहिए.
उन्होंने कंज्यूमर को सजा देने का प्रावधान खत्म करने की मांग की है. उन्होंने याचिका में मांग की है कि कंज्यूमर को ड्रग्स पीड़ित मानते हुए पुनर्वास केंद्रों में भेजने का प्रावधान किया जाए.
जयकृष्ण सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि इसी एक्ट को आधार बनाकर आर्यन के साथ सही प्रक्रिया नहीं निभाई जा रही है. उन्होंने कहा कि जब दुनियाभर में ड्रग्स लेने वालों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया तो वहीं देश में एनडीपीएस एक्ट के तहत ये अपराध है. उन्होंने इसे सबसे बड़ी विसंगति बताया है.
उन्होंने अपनी इस याचिका में कहा है कि नशीले पदार्थों को सेवन करने के लिए जेल भेजे गए युवाओं के घाव भरने के लिए अदालत के पास मौका है. उन्होंने कहा कि ये कानून ड्रग्स ट्रैफिकर्स और पेडलर्स पर नकेल कसने के लिए है, लेकिन एजेंसियां इस कानून का दुरुपयोग कर रहीं हैं. याचिका में कहा गया है कि आर्यन खान और रिया चक्रवर्ती जैसे मामलों ने इस कानून के दुरुपयोग की चिंता को बढ़ा दिया है. वकील जयकृष्ण सिंह ने कहा कि अगर कोई व्यक्तिगत उपयोग के लिए थोड़ी सी मात्रा में ड्रग्स खरीद रहा है तो उसे 'ट्रैफिकर्स' माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि गांजे के इस्तेमाल को अपराध के दायरे से बाहर करने की जरूरत है.