नक्सलियों ने वोटर के काटे हाथ

Update: 2024-05-18 17:19 GMT
झारखण्ड। साल 1999 का लोकसभा चुनाव, जब चतरा में माओवादियों ने वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया था। खुली धमकी दी थी कि अगर किसी ने वोट दिया तो अंजाम बुरा होगा। माओवादियों की धमकी की परवाह किए बगैर इस इलाके से पहला वोट जसमुद्दीन अंसारी ने डाल दिया। लोगों में उत्साह बढ़ा और कुछ और लोग भी घर से निकले। नक्सली बौखला गए और जसमुद्दीन का हाथ काट दिया। जसमुद्दीन के दोस्त नाजिर अंसारी बताते हैं कि जब वोट डाले जाने को लेकर जसमुद्दीन को माओवादियों ने हाथ काटा था तब पूरे गांव सहित प्रखंड भर में दहशत का माहौल था।
25 साल पुरानी इस घटना के बाद भी जसमुद्दीन हर चुनाव में वोट डालते रहे। 25 साल पुरानी इस घटना को आज जिला प्रशासन जसमुद्दीन की बहादुरी को याद करता है। मतदाताओं को जागरूक करने में आज भी जसमुद्दीन पीछे नहीं हैं। 25 साल पहले चतरा समेत पूरे झारखंड भर में नक्सलियों की दबिश थी। तब न तो गांवों में कोई विकास का कार्य हो पाता था और न ही संतोषजनक मतदान। अविभाजित बिहार में नक्सली मजबूत थे और मतदान को प्रभावित करने का हर संभव प्रयास करते थे।
वक्त के साथ-साथ हालात भी बदल रहे हैं और धीरे-धीरे सरकारें नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाकर उनकी कमर तोड़ने का काम कर रही है। 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान चतरा में माओवादियों ने वोट बहिष्कार का फरमान जारी करते हुए फरमान को नजरंदाज कर वोट डालने वालों का हाथ काटने का ऐलान किया था। तब चतरा जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर स्थित टंडवा प्रखंड के कामता गांव निवासी जसमुद्दीन अंसारी ने नक्सलियों के जारी फरमान का बहिष्कार करते हुए लोगों को मतदान‌ के प्रति प्रेरित करने के साथ मतदान को लेकर बनाए गये बूथ में पहुंचकर पहला मतदान किया था। बाद में गांव के अन्य लोगों ने आगे आकर मतदान किया था। इससे आक्रोशित नक्सलियों ने जसमुद्दीन को आधी रात में उठाकर अपने साथ ले गए थे, जहां जसमुद्दीन का हाथ काट दिया गया था।
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