नवरात्रि स्पेशल: नवरात्रि में मां दुर्गा को भोग लगाने का है विशेष महत्व, जानिये कन्या पूजन से जुड़ी खास बातें...
नवरात्रि में देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का है बहुत महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गयी है. नवरात्रि में देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है. इन नौ दिनों में भक्तों को कई नियमों का पालन करना होता है. भक्त मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कूष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी की, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी़ पारण 25 अक्टूबर होगा़।
ऐसे करें कलश स्थापना : कलश में रोली से स्वास्तिक चिन्ह बनायें. उसके गले में तीन धागा वाली मौली लपेट लें. फिर कलश को एक ओर रख लें. जिस जगह पर कलश की स्थापना करनी है, उस भूमि या पटे पर कुमकुम या रोली से अष्टदल कमल बनायें. इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ कलश को भूमि पर सप्त धान्य के ऊपर रख दें. फिर मंत्र के साथ कलश स्थापना कर उसमें जल और कुश डाले. फिर कलश को वस्त्र से अलंकृत करें.
चावल से भरे पात्र को कलश के ऊपर स्थापित करें और उसमें लाल कपड़ा लपेट लें. नारियल स्थापित करें. वरुण देव का आह्वान कर अक्षत और पुष्प छोड़ दें. इस प्रकार वरुण देव, वेद, तीर्थ, सागर, देवी और देवताओं के आह्वान के बाद हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर कलश को मंत्रों से प्रतिष्ठित करें. फिर पुष्प पंचामृत वस्त्र यज्ञोपवित उप वस्त्र विविध परिमल धूप और दीप दिखायें. नैवेद्य निवेदित करें फिर सुपारी इलायची, लौंग सहित पान चढ़ायें. अंत में द्रव्य चढ़ाकर कलश पूजन किया जाता है।
किस दिन मां के किस रूप की होगी पूजा
17 अक्टूबर मां शैलपुत्री
18 अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी
19 अक्टूबर मां चंद्रघंटा
20 अक्टूबर मां कूष्मांडा
21 अक्टूबर मां स्कंदमाता
22 अक्टूबर मां कात्यायनी
23 अक्टूबर मां कालरात्रि
24 अक्टूबर मां महागौरी
25 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री
पारण 25 अक्टूबर को होगा
नवरात्रि में क्या सीखें : इस जगत की समस्त शक्तियों के उद्गम का स्रोत आदिशक्ति है. नवरात्रि में हम भगवती के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं. देवी के प्रत्येक रूप में जीवन का संदेश निहित है. मां के नौ स्वरूपों से हमें जीवन किस प्रकार जीना है, इसकी प्रेरणा मिलती है.
नवरात्र में कन्याओं के पूजन का महत्व : मां को सूखे मेवे का भोग,लाल चुनरी, लाल चूड़ी, सिंदूर और शृंगार का सामान बेहद पसंद है. अतः नवरात्र के दिनों में यह सभी वस्तुएं चढ़ाने से मां बहुत प्रसन्न होती हैं. मां को पान का पत्ता, लौंग सुपारी, इलायची, मिश्री, नारियल, चढ़ाने से एवं देसी घी का दीपक जलाने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्र में कन्याओं का पूजन का विशेष महत्व है. मां की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए छोटी-छोटी कन्याओं का बुलाकर उनका पूजन करना चाहिए. उन को भोजन कराना चाहिए तथा कुछ वस्तुएं उपहार में देनी चाहिए. मीठी चीजें देने से मां बहुत प्रसन्न होती हैं.
मां के नौ रूपों की खासियत
शैलपुत्री : दुर्गा के इस रूप से हमें स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा मिलती है.
ब्रह्मचारिणी : मां का यह यह रूप तपस्या का प्रतीक है.
चन्द्रघण्टा : संदेश मिलता है कि संसार में सदा प्रसन्न होकर जीवन यापन करना चाहिए.
कूष्माण्डा : मां का यह स्वरूप हमें संसार में स्त्री का महत्व समझाता है.
स्कंद माता : मां का यह रूप हमें बताता है कि स्त्री हो या पुरुष, हर कोई ज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी है.
कात्यायनी : यह रूप घर-परिवार में बेटी की महत्ता को बताता है.
काल रात्रि : मां का यह रूप हमें स्त्री के भीतर विद्यमान अपार शक्ति का भान कराता है.
महागौरी : मां का यह रूप हमें हर परिस्थिति में संयमित रहने की सीख देता है.
सिद्धिदात्री : मां सिद्धिदात्री यानी हर सिद्धि को देने वाली हैं. स्त्रियों में भी यह गुण विद्यमान होता है.
नौ दिन भोग लगाने का विशेष महत्व : नवरात्र में नौ दिन प्रसाद का भोग लगाने का विशेष महत्व है. प्रथम दिन शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए़ दूसरे दिन शक्कर, तीसरे दिन दूध-खीर से बनी वस्तु, चौथे दिन मालपुआ, पांचवें दिन केला, छठे दिन शहद, सातवें दिन गुड़, आठवें दिन नारियल और नौवें दिन तिल का भोग लगाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है.
यहां हाेगी आज कलश स्थापना : प्राचीन श्री राम मंदिर चुटिया, दुर्गा मंदिर मोरहाबादी, देवी दर्शन बीआइटीटी, दुर्गा मंदिर मेडिकल चौक बरियातू, प्रगति प्रतीक किशोरगंज, दुर्गा मंदिर रातू रोड, साउथ रेलवे कॉलोनी दुर्गा पूजा कमिटी और महाशक्ति दुर्गा पूजा समिति बूटी मोड़.