नवजोत सिंह सिद्धू की प्रेस कांफ्रेंस, कहा- इस परिवार ने केंद्र के कृषि कानूनों की नींव रखी

Update: 2021-09-15 14:17 GMT

फाइल फोटो 

चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में जहां एक ओर केंद्र के 3 कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल की सरकार पर जमकर निशाना साधा तो वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े सवाल पूछे गए तो सिद्धू ने कुछ भी कहने से इनकार करते हुए नो कमेंट कह दिया.

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्र के तीनों काले कानून बादल सरकार के दौर में लिखे गए थे. कृषि कानून बादल के कांट्रैक्ट फॉर्मिंग एक्ट 2013 की फोटोस्टेट प्रतियां ही हैं.
सिद्धू ने अपनी पीसी में कहा कि 2016 में बादल सरकार ने Settlement of Debts का बिल पास किया और 3 महीनों में किसानों के विवाद खत्म करने की बात कही लेकिन 6 महीने तक कुछ नहीं किया और 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले बिल को नोटिफाई कर दिया.
उन्होंने कहा कि किसी ने भी किसानों का कोई कर्ज माफ नहीं किया लेकिन सरकारी पैसे से एक महीने में 1 करोड़ 17 लाख रुपये इश्तहारों पर खर्च कर दिए. बादल सरकार ने पंजाब की जनता की आंखों में धूल झोंकी.
यूपीए शासनकाल का जिक्र करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने 78 हजार करोड़ रुपये कर्ज माफ किया. कैप्टन सरकार ने भी 5000 करोड़ किसानों का और 500 करोड़ भूमिहीन किसानों का कर्ज माफ किया, लेकिन बादल सरकार ने 25 पैसे भी माफ नहीं किए. उन्होंने कहा कि APMC मंडियां भी कांग्रेस ने ही बनाई थी.
अकाली दल पर निशाना साधते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि अकाली दल चुनावों में वोट बटोर कर वापस मोदी की झोली में बैठेंगे. केंद्र के विवादित कृषि कानूनों के बारे में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि सबसे पहले कांग्रेस ने ही केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे को उठाया था.
हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पंजाब के किसानों को पंजाब में आर्थिक माहौल नहीं बिगाड़ने और हरियाणा तथा दिल्ली में जाकर प्रदर्शन करने के बयान पर जब सिद्धू से लगातार सवाल किए गए तो उन्होंने सभी सवालों पर कहा- नो कमेंट्स.
इस बीच कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यू-टर्न ले लिया. कैप्टन अमरिंदर ने मंगलवार को कहा, पंजाब में चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन से अंबानी-अडानी को नहीं बल्कि पंजाब के लोगों का नुकसान हो रहा है क्योंकि राज्य में कॉर्पोरेट घरानों का व्यापार उतना ज्यादा नहीं है. 


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