कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ हुए नवजोत सिं‍ह सिद्धू और उनके समर्थक बने सिरदर्द, उनके समर्थकों को संभाले रखना आसान नहीं

पंजाब कांग्रेस के घमासान में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिं‍ह सिद्धू और उनके समर्थकों के डटे रहने के रुख ने पार्टी हाईकमान का सिरदर्द ही नहीं चुनौती भी बढ़ा दी है

Update: 2021-08-30 18:07 GMT

पंजाब कांग्रेस के घमासान में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिं‍ह सिद्धू और उनके समर्थकों के डटे रहने के रुख ने पार्टी हाईकमान का सिरदर्द ही नहीं चुनौती भी बढ़ा दी है। प्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बयान को सिद्धू ने अपने समर्थकों के जरिए जिस तरह खारिज किया है, उससे साफ है कि पंजाब में पार्टी का घमासान इतनी आसानी से शांत होने नहीं जा रहा है। पार्टी नेतृत्व को भी इस बात का अहसास हो गया है कि साधारण सियासी दांव-पेंच से सिद्धू को काबू करना आसान नहीं है।

सिद्धू के समर्थकों के दबाव में हरीश रावत को दिखानी पड़ी नर्मी
इसी के मद्देनजर सूबे के प्रभारी हरीश रावत को कैप्टन के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने के बयान पर सफाई देनी पड़ी। पंजाब के पार्टी प्रभारी का यह बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस नेतृत्व की सूबे के मौजूदा घमासान में रक्षात्मक होने का संकेत है। जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत की शुरुआत होने और उनके खिलाफ झंडा उठाने वाले मंत्रियों-विधायकों से मुलाकात के बाद हरीश रावत ने पिछले बुधवार को देहरादून में दो टूक एलान कर दिया था कि कांग्रेस 2022 में कैप्टन के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी।
एक-दो दिन में अमरिंदर-सिद्धू में सुलह का फिर प्रयास करेगा नेतृत्व
इसके बाद दिल्ली आकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और फिर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात में सूबे की सियासी स्थिति पर चर्चा के बाद भी शनिवार को दोहराया कि कैप्टन के खिलाफ कोई बगावत ही नहीं है। पार्टी उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। समझा जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व ने मौजूदा उठापटक को शांत करने के लिए रावत को कार्रवाई का भय दिखाने की भी छूट दे दी है। लेकिन बीते दो दिनों में सिद्धू के कट्टर समर्थक विधायक परगट सिंह ने जिस तरह हरीश रावत के बयान को खारिज करते हुए सवाल उठाया उससे पार्टी के रणनीतिकार भी भौंचक हैं।
उनका कहना है कि सिद्धू और उनके समर्थकों को यह भली-भांति मालूम है कि प्रभारी महासचिव, पंजाब जैसे अहम प्रदेश के सियासी उठापटक में इतना अहम बयान, नेतृत्व की सहमति के बिना नहीं दे सकते। इस लिहाज से सिद्धू और उनके समर्थकों ने परोक्ष संदेश दे दिया कि पंजाब में संतुलन साधने की कोशिश के तहत कैप्टन को नेतृत्व का सिरमौर बनाए रखने की हाईकमान की रणनीति उन्हें स्वीकार नहीं है। वे इस मामले में खुले रूप से चुनौती देने से पीछे नहीं हटेंगे।
मौजूदा घमासान में ताजा बयानबाजी से मामला और न बिगड़े इसीलिए रावत ने सोमवार को कैप्टन के नेतृत्व के बारे में दिए अपने वक्तव्य पर गोल-मोल सफाई दी जिसका आशय साफ है कि कांग्रेस नेतृत्व अब एक बार फिर सिद्धू और कैप्टन के बीच सुलह की कोशिश में जुटेगा और हरीश रावत इसके लिए अगले दो दिनों में चंडीगढ़ जाएंगे।


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