प्राकृतिक आपदा: अल्मोड़ा से चार सदस्यीय टीम करेगी चमोली आपदा के कारणों का पता

चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा का सही कारण जानने के लिए जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट

Update: 2021-02-09 18:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा का सही कारण जानने के लिए जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन इनवायरमेंट अल्मोड़ा की टीम चमोली रवाना होगी। इस टीम में वैज्ञानिक और इंजीनियर होंगे। टीम आपदा का सही कारण जानने के लिए वहां रुककर शोध करेगी और बाद में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

जीबी पंत इंस्टीट्यूट में हिमालय में पर्यावरणीय बदलावों को लेकर लगातार शोध होते रहते हैं। केदारनाथ में आई आपदा के बाद हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों पर संस्थान की ओर से विशेष तौर पर नजर रखी जाती है। चमोली में आपदा आने के बाद पूरे विश्व की नजर इस ओर है। कोई इस आपदा का मूल कारण हिमालय क्षेत्र में बन रहे बांधों को बता रहा है तो कोई जलवायु परिवर्तन को बता रहा है। इंस्टीट्यूट की ओर से बताया गया कि आपदा का सही कारण पता लगाने के लिए चार लोगों की टीम का गठन किया गया है।

इसका नेतृत्व इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल करेंगे। उनके साथ टीम में वैज्ञानिक डॉ. सुमित राय, डॉ. कपिल केसरवानी और इंजीनियर वैभव होंगे। बताया कि टीम चमोली के लिए रवाना हो जाएगी और शोध के लिए वहीं रुकेगी। व्यापक शोध करने के बाद आपदा के सही कारणों और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों की रिपोर्ट बाद में पेश की जाएगी।
सही कारण जाने बिना कुछ भी कहना मुश्किल : डॉ. रावल
जीबी पंत इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आरएस रावल ने कहना है कि आम व्यक्ति आपदा को लेकर कोई भी आकलन कर सकता है, लेकिन एक वैज्ञानिक जब तक कोई प्रमाणित डाटा न हो तब तक कोई भी राय जाहिर नहीं करेगा। कहा कि संस्थान की टीम आपदा के क्षेत्र में जाएगी और वहां पूरी मेहनत के साथ डाटा इकट्ठा करेगी। जल्द ही आपदा के सही कारणों का पता लगा लिया जाएगा। हम सभी जानकारियों पर नजर बनाए हुए हैं।

कुमाऊं विवि ग्लेशियरों पर करेगा शोध
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई प्राकृतिक आपदा के बाद अब कुमाऊं विश्वविद्यालय हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों पर शोध कार्य करेगा। विवि इस संबंध में भू-गर्भ विज्ञान के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक करने जा रहा है। इसके साथ विवि ने आगामी सत्र से रिमोट सेंसिंग का कोर्स शुरू करने फैसला भी लिया है।
बता दें कि चमोली जिले में ग्लेशियर के टूटने से जो तबाही का मंजर सामने आया है उस पर पूरी दुनिया की निगाह बनी हुई है। वैज्ञानिक इसके कारणों को जानने में जुटे हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने भी जल्द हिमालयी रीजन के ग्लेशियरों पर शोध करने का फैसला किया है। कुलपति प्रोफेसर एनके जोशी ने बताया कि उत्तराखंड से लगे संपूर्ण हिमालयी रीजन में विवि के भू-गर्भ विज्ञान के वैज्ञानिक शोध कार्य करेंगे। 

इसके लिए जल्द बैठक होगी और बैठक में शोध कार्य को लेकर सुझाव तथा विचार-विमर्श किया जाएगा। हिमालयी क्षेत्र की गतिविधियों पर विशेषज्ञ ब्योरा एकत्रित कर शोध करेंगे। उन्होंने कहा कि तरह की गतिविधियों पर नजर बनाए रखने के लिए दूसरे उपाय भी किए जाएंगे, ताकि भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्व में ही पता चल सके। उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से विवि में रिमोट सेंसिंग का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जाएगा। यहां युवाओं को आपदाओं के कारण तथा परिणाम की जानकारी दी जाएगी।


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