नई दिल्ली: आतंक और टेरर फंडिंग सहित 7 क्षेत्रों का राष्ट्रीय डेटा बेस बनाने पर MHA सक्रिय हो गया है. इसे लेकर NIA सहित दूसरी एजेंसियों के साथ बड़ी बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव ने किया. इस बैठक में NIA चीफ़, NATGRID के अधिकारी, IB के अधिकारी, CBI चीफ़, ED के अधिकारी सहित गृह मंत्रालय के दूसरे अधिकारी मौजूद थे. हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री ने NIA के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय डेटा बेस बनाने की बात कही थी. इसी को आगे बढ़ाते हुए MHA ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक की थी.
गृहमंत्री ने NIA के स्थापना दिवस के प्रोग्राम में कहा था कि जांच पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए. इन्वेस्टिगेशन अब थर्ड डिग्री पर नहीं बल्कि तकनीक, डेटा और इन्फोर्मेशन की डिग्री पर निर्भर होना चाहिए. ये परिवर्तन लाने के लिए डेटाबेस होना चाहिए, इसलिए NIA को मादक पदार्थ, हवाला ट्रांजैक्शन, हथियारों की तस्करी, जाली मुद्राएं, बम धमाके, टेरर फंडिंग और टेररिज्म इन सात क्षेत्रों में एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने का काम दिया गया है और इसकी बहुत अच्छे तरीके से शुरुआत भी हुई है.
आज तक की खबर के मुताबिक एनआईए सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेटग्रिड, IB और NIA मिलकर 7 क्षेत्रों का डेटा बेस तैयार कर रही हैं, जिसका मकसद जांच में साईंटिफिक तरीकों का इस्तेमाल हो. देश मे इस समय जिस तरीके से ड्रग्स ट्रेफिकिंग,आतंक की फंडिंग, हवाला ट्रांजैक्शन, नकली नोट के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में सरकार चाहती है कि जो ऐसे 7 गंभीर क्षेत्र हैं, उनका एक डिटेल डेटा बेस आतंक पर जांच करने वाली एजेंसी NIA के पास रहे. जिससे इन्वेस्टिगेशन को तुरंत तरीके से करने में मदद मिल सके. इसी के चलते गृह मंत्रालय लगातार राष्ट्रीय डेटा बेस तैयार करने के लिए बैठक कर रहा है.
ये 7 क्षेत्र जिसमे ड्रग्स तस्करी, हवाला ट्रांजैक्शन, हथियारों की तस्करी,जाली मुद्राएं, बम धमाके, टेरर फंडिंग और टेररिज्म है जिसमे सुरक्षा एजेन्सियां मिलकर डेटा बेस तैयार कर रही हैं.
राष्ट्रीय डेटा बेस का क्या होगा फायदा
राष्ट्रीय डेटा बेस तैयार करने के पीछे केंद्र सरकार का मकसद यह है कि ड्रग ट्रैफिकिंग आतंकी घटनाओं सहित दूसरे मामलों से जुड़े तमाम डेटाबेस एक स्थान पर एक क्लिक पर मौजूद रहे. यही वजह है कि एनआईए के नेतृत्व में इस तरीके का एक डेटाबेस बनाया जा रहा है. जब भी कोई तस्कर या टेरर फंडिंग करने में पकड़ा जाए तो जांच के लिए साइंटिफिक जानकारी मौजूद रहे साथ ही आतंकी घटना, ड्रग ट्रैफिकिंग, टेरर फंडिंग, हवाला कारोबार उससे जुड़े हुए लोग आतंक में शामिल विदेशों में मौजूद टेररिस्ट उनका खाका एक जगह मौजूद रहे. जिसको कहीं भी रह कर एक क्लिक पर उसके बारे में तुरंत जानकारी हासिल की जा सके. ऐसे डेटाबेस से साइंटिफिक जांच में काफी तेजी आएगी और देश में ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.