नरेश टिकैत पहुंचे हरिद्वार, पहलवानों को मनाने की कोशिश जारी

पहलवान उत्तराखंड के हरिद्वार पहुंचे

Update: 2023-05-30 14:27 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवानों ने आज अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने की बात की थी। इसको लेकर पहलवान उत्तराखंड के हरिद्वार पहुंचे है। इसमें विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, संगीता फोगाट, साक्षी मलिक सहित कई और पहलवान शामिल हैं। हालांकि, अब जो खबर आ रही है उसके मुताबिक पहलवान हर की पौड़ी से लौट रहे हैं। किसान नेता नरेश टिकैत के मनाने के बाद पहलवानों ने उन्हें अपने मेडल भी सौंप दिए हैं। नरेश टिकैत ने पहलवानों से 5 दिन का समय भी मांगा है।
मनाने की हो रही कोशिश
किसान नेता नरेश टिकैत पहलवालों को मनाने की कोशिश की। वहीं, राकेश टिकैत ने पहलवानों से गलत कदम नहीं उठाने की बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि यह मेडल देश और तिरंगे की शान है। हमारा सभी पहलवानों से अनुरोध है कि ऐसा कदम मत उठाओ। आपने अपने खेल से देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। हमारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि मामले को संज्ञान में लेकर पहलवानों से जल्द बातचीत करें।
वहीं, अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि पूरा देश स्तब्ध है। पूरे देश की आँखों में आँसू हैं। अब तो प्रधान मंत्री जी को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिये। पहलवालों का विरोध प्रदर्शन पिछले 1 महीने से ज्यादा समय से जारी है। 28 मई को पहलवान और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प देखने को मिली थी। दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर से पहलवालों का विरोध प्रदर्शन स्थल को खाली भी करा लिया था।
पहलवानों की धमकी
पहलवानों ने अब एक बड़ी धमकी दी है। जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने दावा किया कि अगर राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने उनकी आवाज नहीं सुनी तो वे अपने पदक हरिद्वार में गंगा नदी में फेंक देंगे। हम आज शाम 6 बजे हरिद्वार में गंगा नदी में अपने पदक फेंक देंगे। इसको लेकर बजरंग पूनिया ने एक ट्वीट किया है। मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा है, इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएँगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जीतने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी।
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